लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: दुनिया की विकट समस्या बन रहा मरुस्थलीकरण

By योगेश कुमार गोयल | Updated: June 17, 2023 15:15 IST

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1995 से ‘विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस’ मनाया जा रहा है।

Open in App
ठळक मुद्देमरुस्थलीकरण पूरी दुनिया के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहा है। इसके पीछे कई कारण है जो मरुस्थलीकरण को बढ़ावा दे रहे है। ऐसे में इसे लेकर लोगों में जागरूकता की जरूरत है।

नई दिल्ली: मरुस्थलीकरण आज दुनियाभर की एक विकट समस्या बनता जा रहा है, जिसका पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ रहा है. मरुस्थलीकरण का अर्थ है रेगिस्तान का फैलते जाना, जिससे विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में उपजाऊ भूमि अनुपजाऊ भूमि में तब्दील हो रही है. इसके लिए भौगोलिक परिवर्तन के साथ-साथ मानव गतिविधियां भी बड़े स्तर पर जिम्मेदार हैं. शुष्क क्षेत्र ऐसे क्षेत्रों को कहा जाता है, जहां वर्षा इतनी मात्रा में नहीं होती कि वहां घनी हरियाली पनप सके. 

मरुस्थलीकरण को बढ़ाने में सभी का है हाथ

पूरी दुनिया में कुल स्थल भाग का करीब 40 फीसदी (लगभग 5.4 करोड़ वर्ग किमी) शुष्क क्षेत्र है और मरुस्थलीकरण प्रायः ऐसे ही शुष्क इलाकों में ज्यादा देखा जा रहा है. वैश्विक स्तर पर रेत का साम्राज्य बढ़ते जाने के कारण कई देशों में अन्न का उत्पादन घटने से मानव जाति तो प्रभावित हो ही रही है, जीव-जंतुओं की तमाम प्रजातियों पर भी भयानक दुष्प्रभाव हो रहा है. 

जलवायु संकट भी सूखा, बाढ़, जंगलों में आग लगने की घटनाओं के जरिये मरुस्थलीकरण को बढ़ा रहा है. एक ओर जहां जलवायु का गहराता संकट मरुस्थलीकरण की समस्या को बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर मरुस्थलीकरण जलवायु संकट को और गंभीर बना रहा है अर्थात् मरुस्थलीकरण और जलवायु संकट एक-दूसरे से परस्पर जुड़े हुए हैं.

लोगों में जागरूकता के लिए मनाया जा रहा है दिवस

जलवायु संकट में भू-क्षरण का भी बहुत बड़ा योगदान है. पर्यावरणविदों के मुताबिक मिट्टी में वातावरण में मौजूद कार्बन से तीन गुना ज्यादा कार्बन है और पृथ्वी पर मौजूद कार्बन का सबसे बड़ा भंडार मिट्टी में ही है. कार्बन का उत्सर्जन मिट्टी से निकलकर वातावरण में पहुंचकर वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी कर रहा है और मरुस्थलीकरण के कारण यह समस्या और ज्यादा बढ़ रही है.

अंतरराष्ट्रीय सहयोग से वैश्विक स्तर पर मरुस्थलीकरण का मुकाबला करने के लिए जन-जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1995 से ‘विश्व मरुस्थलीकरण रोकथाम और सूखा दिवस’ मनाया जा रहा है. मरुस्थलीकरण और सूखे की बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर इससे मुकाबला करने हेतु लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1994 में मरुस्थलीकरण रोकथाम का प्रस्ताव रखा था. 

क्या है उद्देश्य

इस दिवस के जरिये लोगों को जल तथा खाद्यान्न सुरक्षा के साथ पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति जागरूक करने, सूखे के प्रभाव को प्रत्येक स्तर पर कम करने के लिए कार्य करने और नीति निर्धारकों पर मरुस्थलीकरण संबंधी नीतियों के निर्माण के साथ उससे निपटने के लिए कार्ययोजना बनाने का दबाव बनाने का प्रयास किया जाता है. भारत का करीब 7.36 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल मरुस्थलीकरण से प्रभावित है और देश के कई इलाके तो प्रायः सूखे की चपेट में ही रहते हैं. 

टॅग्स :भारतUnited Nations General Assembly
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतPutin Visit India: राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन, राजघाट पर देंगे श्रद्धांजलि; जानें क्या है शेड्यूल

भारतपीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की भगवत गीता, रशियन भाषा में किया गया है अनुवाद

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई