कोरोना वायरसः क्या कानून-व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है अचानक लॉकडाउन समाप्त करना?

By प्रदीप द्विवेदी | Published: May 11, 2020 07:00 AM2020-05-11T07:00:40+5:302020-05-11T07:00:40+5:30

यकीनन, आर्थिक कारणों से लाॅकडाउन आगे जारी रखना सही नहीं है, लेकिन इसे अचानक खत्म कर दिया तब भी कई ऐसी परेशानियां खड़ी हो जाएंगी, जिनके कारण कई उग्र विवाद हो सकते हैं और देश में कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है.

Coronavirus: Is there any danger for law and order if lockdown is ended suddenly? | कोरोना वायरसः क्या कानून-व्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है अचानक लॉकडाउन समाप्त करना?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

देश में कानून व्यवस्था और शांति बनी रहे इसके लिए जरूरी है कि अनिश्चित काल के लिए साफ्ट लाॅकडाउन और सख्त धारा-144 जारी रहे.

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच पीएम नरेंद्र मोदी विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली इस बैठक में देश में कोरोना वायरस से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा तो होगी ही, देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण 17 मई तक है, उसके बाद क्या किया जाना चाहिए, संभवतया इस पर भी चर्चा होगी.

यकीनन, आर्थिक कारणों से लाॅकडाउन आगे जारी रखना सही नहीं है, लेकिन इसे अचानक खत्म कर दिया तब भी कई ऐसी परेशानियां खड़ी हो जाएंगी, जिनके कारण कई उग्र विवाद हो सकते हैं और देश में कानून व्यवस्था के लिए चुनौती खड़ी हो सकती है.

केन्द्र सहित विभिन्न राज्य सरकारों ने इतने समय में केवल कोरोना से लड़ने में अपनी सारी ताकत लगाई है, कोरोना संकट और लाॅकडाउन के आफ्टर इफेक्ट से उत्पन्न विषम परिस्थितियों से निपटने के बारे में कोई खास इंतजाम नहीं हो पाया है.
खासकर, लेन-देन के विवादों का क्या होगा, इस पर अभी तक खामोशी है.

अभी कई नौकरीपेशा अपने आॅफिस से दूर अपने घरों में बैठे हैं और मालिक जैसे-तैसे अपना काम चला रहे हैं या फिर काम बंद है. आगे काम चल पाएगा या नहीं इसका अनुमान किसी को नहीं है. नौकर-मालिक के बीच बकाया लेन-देन, नौकरी रहेगी या नहीं जैसे मुद्दों पर सरकार चुप है. नौकर-मालिक के बीच ऐसे विवाद खतरनाक रूप भी ले सकते हैं.

लेन-देन के मद्देनजर किराएदार-मकान मालिक का मुद्दा तो पहले से ही सवालों के घेरे में है.

इसी तरह स्कूल-अभिभावक के बीच फीस विवाद, बैंकों के बकाया, ईएमआई, निजी लेन-देन विवाद, चेक बाउंस, पानी-बिजली के बिलों की समस्या सहित अनेक मामलों में न तो केन्द्र सरकार ने और न ही राज्य सरकारों ने कोई स्पष्ट व्यवस्था दी है, मतलब- आपसी विवाद के जितने मुद्दे इस वक्त लाॅकडाउन में दबे पड़े हैं, वे अचानक सामने आ जाएंगे, अगर बगैर इन मुद्दों के बारे में प्रायोगिक व्यवस्था दिए लाॅकडाउन हटा दिया गया.

देश की कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर बनने तक अनिश्चित काल के लिए साफ्ट लाॅकडाउन और सख्त धारा-144 जारी रहनी चाहिए!

Web Title: Coronavirus: Is there any danger for law and order if lockdown is ended suddenly?

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