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ब्लॉग: शोध के लिए उम्मीद से मिला कम

By शशांक द्विवेदी | Updated: July 24, 2024 10:13 IST

केंद्र सरकार को शोध, विज्ञान, तकनीक, उच्च शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में सुधार के लिए बड़े कदम उठाने होंगे और इनके लिए ज्यादा बजट भी देना होगा। 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार 3.0 का पहला बजट पेश कर दिया है। यह उनका लगातार सातवां बजट है। वित्त मंत्री ने कहा कि अगले 10 वर्षों में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पांच गुना बढ़ाने के लिए 1,000 करोड़ रुपए का वेंचर कैपिटल फंड बनाया जाएगा। साथ ही 1 लाख करोड़ रुपए के वित्तीय कोष से निजी क्षेत्र में वाणिज्यिक स्तर पर अनुसंधान एवं नवाचार को  बढ़ावा देने की बात कही गई है।

इसके लिए बेसिक अनुसंधान और प्रोटोटाइप विकास के लिए अनुसंधान राष्ट्रीय शोध कोष की  स्थापना होगी। सरकार परमाणु ऊर्जा के लिए छोटे रिएक्टरों की स्थापना, अनुसंधान और विकास  के लिए  निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी करेगी। वास्तव में अंतरिक्ष, नवाचार, विज्ञान, शोध और अनुसंधान को इस बजट में उम्मीद से काफी कम मिला. बढ़ते तकनीक और प्रौद्योगिकी के युग में शोध और अनुसंधान पर जीडीपी  का कम-से-कम 2 प्रतिशत खर्च होना चाहिए. लेकिन पिछले 15 सालों से इस क्षेत्र में जीडीपी का 1 प्रतिशत से भी कम खर्च होता आया है।

इस बजट में भी शोध, विज्ञान, तकनीक और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार ने कोई बड़ा और ठोस काम नहीं किया जैसे कि वो वादे करते रहे हैं। वैज्ञानिक शोध के लिए भी पर्याप्त बजट नहीं दिया गया, न ही बुनियादी विज्ञान के प्रसार के लिए कोई कार्य योजना ही बन पाई जिससे विज्ञान को आम लोगों से जोड़ा जा सके। स्किल डेवलपमेंट के लिए जरूर सरकार थोड़ा संजीदा हुई है।

वित्त मंत्री ने रोजगार और कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 2 लाख करोड़ रुपए के आवंटन के साथ पांच योजनाओं के पीएम पैकेज की घोषणा करते हुए कहा कि इस साल शिक्षा, रोजगार और कौशल विकास के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। सरकार 500 शीर्ष कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने के लिए एक योजना शुरू करेगी, जिसमें 5000 रुपए प्रति माह इंटर्नशिप भत्ता और 6000 रुपए की एकमुश्त सहायता दी जाएगी।

मौजूदा समय में रिसर्च  और इनोवेशन के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का योगदान बहुत कम है जिसे बढ़ाने की जरूरत है। अब तक शोध और इनोवेशन पर कुल जीडीपी का एक फीसदी से भी कम राशि खर्च होती आई है जिसको प्राथमिकता के आधार पर बढ़ाने की जरूरत है। केंद्र सरकार को शोध, विज्ञान, तकनीक, उच्च शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में सुधार के लिए बड़े कदम उठाने होंगे और इनके लिए ज्यादा बजट भी देना होगा। 

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