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ब्लॉग: हम हर हाल में मोदी को चाहते हैं...गुलाम नबी

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: March 13, 2024 15:01 IST

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज कश्मीरी युवकों, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं लैपटॉप हैं, किताबें हैं, आज बच्चे रोज स्कूल जा रहे हैं।

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ठळक मुद्देगुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज कश्मीरी युवकों, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं लैपटॉप हैंऑफिस वाले रोज काम पर जा रहे हैं, टूरिज्म बढ़ गया है जिससे लोगों को रोजगार मिल रहा हैकश्मीर में गोलियों-बंदूकों की आवाज, दहशतगर्दों की धमकियां, खून-खराबे बंद हो गए हैं

‘‘कोई वजह नहीं कि हम मोदी को न चाहें, इतने सालों तक हमने उन्हें देख लिया। अब तो हमें फर्क समझ आ रहा है और हम हर हाल में मोदी को चाहते हैं।’’ यह बात कही मेरे पास पिछले लगभग 35 सालों से आने वाले शॉल बेचने वाले कश्मीरी गुलाम नबी ने।

मैंने उसकी तरफ देखते हुए पूछा, सच में गुलाम नबी जी, मैं तो सोच रही थी जब टीवी में कश्मीर के लोगों को कहते हुए कि सब कुछ अच्छा है और प्रधानमंत्री की सफलतापूर्वक रैली देखी, रोड शो देखा, स्थानीय लोगों की भीड़ और उत्साह देखा तो मन खुश भी हो रहा था क्योंकि मैं स्वयं श्रीनगर जाकर आई, कुछ ऐसा ही माहौल था परंतु अब जब आप कह रहे हो जो हमेशा आज तक निगेटिव बोलते थे कि कश्मीर का कुछ नहीं होने वाला, वहां सब लोग राजनीति करते हैं, कोई आम कश्मीरियों के बारे में नहीं सोचता। आज आप कह रहे हो तो यकीन नहीं हो रहा।

तब गुलाम नबी ने कहा, क्यों न कहूं। आज कश्मीरी युवकों, बच्चों के हाथ में पत्थर नहीं लैपटॉप हैं, किताबें हैं, आज बच्चे रोज स्कूल जा रहे हैं, ऑफिस में काम करने वाले रोज ऑफिस जा रहे हैं। टूरिज्म बढ़ गया है जिससे लोगों को रोजगार मिल रहा है। गोलियों-बंदूकों की आवाज, दहशतगर्दों की धमकियां, खून-खराबे बंद हो गए हैं, नहीं तो रोज दिल रोता था किसी का आदमी मरता था, किसी का बेटा, किसी का भाई... आज अमन-चैन है। कई सालों बाद मोहर्रम का जुलूस निकला। गुलाम नबी चला गया परंतु मेरे अंदर एक सुखद भविष्य आने वाले सुनहरे पलों को आंखों के सामने जीवित कर गया।

वाकई इन सालों में भारत कहां से कहां पहुंच गया है यही नहीं जब से अयोध्या गई तो वहां एक युवक से बात हुई जो राम मंदिर से बहुत खुश था। उसने मुझसे कहा कि हम बहुत खुश हैं कि सदियों पुराना सपना पूरा हुआ, हमारी भक्ति भी पूरी हो रही है, शक्ति भी बन रही है तो मैंने उससे पूछा कैसे भाई तो उसने कहा कि 2014 से 2024 तक 315 मेडिकल कॉलेज बने। एक एम्स था, अब 25 हो गए हैं। आईआईटी तीन गुना हो गए, मेडिकल सीट डबल हो गई।

70,000 किलोमीटर हाईवे का निर्माण हुआ। 10,000 पंचायत भवन बने, 50 करोड़ लोगों के बैंक खाते खुले हैं। 10 करोड़ लोगों को एलपीजी, 4 करोड़ लोगों को पक्के घर मिले हैं। देश के आखिरी गांव को देश का पहला गांव बना दिया।

देश का प्रधानमंत्री साहसी है, संस्कारी है, देशभक्त है, धर्म के प्रति आस्था रखता है, वे आज के युवकों के लिए प्ररेणा बने हुए हैं। मैं उस युवा और गुलाम नबी की आवाज को सुन लोगों तक पाठकों तक पहुंचा रही हूं अब पाठकों के हाथों फैसला है कि यह दोनों आप सबकी आवाज हैं या यह उनकी व्यक्तिगत राय है।

टॅग्स :गुलाम नबी आजादजम्मू कश्मीरनरेंद्र मोदी
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