लाइव न्यूज़ :

ब्लॉगः राज्यसभा चुनाव...सेवा के नाम पर मेवा खाते राजनेता

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: June 10, 2022 13:11 IST

विधायकों को फिसलाने के लिए नोटों के बंडल, मंत्रीपद का लालच, प्रतिद्वंद्वी पार्टी में ऊंचा पद आदि प्रलोभन दिए जाते हैं। यदि राज्यसभा की सदस्यता का यह मतदान पूरी तरह दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत हो जाए तो पराए दल के उम्मीदवार को वोट देनेवाले सांसद की सदस्यता तो छिनेगी ही, उसकी बदनामी भी होगी।

Open in App

राज्यसभा के चुनावों में राज्यों के विधायक मतदाता होते हैं। आम चुनावों में मतदाताओं को अपनी तरफ करने के लिए सभी दल तरह-तरह से रिझाते हैं लेकिन विधायकों के साथ उल्टा होता है। उनका अपना राजनीतिक दल उनको फिसलने से रोकने के लिए एक-से-एक अजीब तरीके अपनाता है। सभी पार्टियों को डर लगा रहता है कि अगर उनके थोड़े-से विधायक भी विपक्ष के उम्मीदवार की तरफ खिसक गए तो उनका उम्मीदवार हार जाएगा। कई उम्मीदवार तो सिर्फ दो-चार वोटों के अंतर से ही हारते और जीतते हैं।

विधायकों को फिसलाने के लिए नोटों के बंडल, मंत्रीपद का लालच, प्रतिद्वंद्वी पार्टी में ऊंचा पद आदि प्रलोभन दिए जाते हैं। यदि राज्यसभा की सदस्यता का यह मतदान पूरी तरह दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत हो जाए तो पराए दल के उम्मीदवार को वोट देनेवाले सांसद की सदस्यता तो छिनेगी ही, उसकी बदनामी भी होगी। ऐसा कोई प्रावधान अभी तक नहीं बना है, इसीलिए सभी दल अपने विधायकों को अपने राज्यों के बाहर किसी होटल या रिसोर्ट में एकांतवास करवाते हैं। उन विधायकों के चारों तरफ कड़ी सुरक्षा रहती है। उनका इधर-उधर आना-जाना और बाहरी लोगों से मिलना-जुलना मना होता है। उनके मोबाइल फोन भी रखवा लिए जाते हैं। उनके खाने-पीने और मनोरंजन का पूरा इंतजाम रहता है। उन पर लाखों रु. रोज खर्च होता है। 

कोई इन पार्टियों से पूछे कि जितने दिन ये विधायक आपकी कैद में रहते हैं, ये विधायक होने के कौनसे कर्तव्य का निर्वाह करते हैं? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि लगभग सभी पार्टियां, आजकल यही ‘सावधानी’ क्यों बरतती हैं? इसका मूल अभिप्राय क्या है? इसका एक ही अभिप्राय है। वह यह कि आज की राजनीति सेवा के लिए नहीं बल्कि मेवा के लिए बन गई लगती है। ऐसा लगता है कि वर्तमान राजनीति में न किसी सिद्धांत का महत्व है, न नीति का, न विचारधारा का! हालांकि राजनीति में सक्रिय कई लोग आज भी इसके अपवाद हैं लेकिन जरा मालूम कीजिए कि क्या वे कभी शीर्ष तक पहुंच सके हैं? जो लोग सफल हो जाते हैं, वे दावा करते हैं कि सेवा ही उनका धर्म है। लेकिन सेवा के नाम पर वे मेवा ही खाते नजर आते हैं।

टॅग्स :राज्यसभा चुनावराजनीतिक किस्सेParty
Open in App

संबंधित खबरें

भारतराज्यसभा में 5 साल बाद दिखेंगे जम्मू-कश्मीर के सांसद?, शम्मी ओबेराय, सज्जाद अहमद किचलू, सत शर्मा और चौधरी मोहम्मद रमजान बनेंगे आवाज?

भारतराज्यसभा में राजद के 5 सांसद, 2030 तक 0 होंगे?, उच्च सदन में कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा, 2025 विधानसभा चुनाव में हार के बाद तेजस्वी यादव को लगेगा झटका?

भारतJ&K Rajya Sabha Polls: भाजपा के सत शर्मा ने मारी बाजी, विपक्षी दल पर लगे गंभीर आरोप, सीएम उमर अब्दुल्ला ने गुप्त बीजेपी समर्थकों की आलोचना की

भारतJ&K Rajya Sabha Polls: 7 विधायकों की पहेली?, कैसे 'गायब' सहयोगियों ने भाजपा को जम्मू-कश्मीर में दिला दी राज्यसभा सीट

भारतबीजेपी के सत शर्मा ने जम्मू और कश्मीर में राज्यसभा सीट जीतकर उमर अब्दुल्ला को दिया बड़ा झटका, जानिए कौन हैं वह?

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई