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ब्लॉग: बड़े खतरे का इशारा कर रही है बार-बार डोलती धरती

By योगेश कुमार गोयल | Updated: October 19, 2023 10:06 IST

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक अफगानिस्तान में 3 घंटे के भीतर आए 6 आफ्टर शॉक्स की तीव्रता 4.6 से 6.3 के बीच थी और भूकंप के उन झटकों के कारण कई गांव तो पूरी तरह नष्ट हो गए थे।

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ठळक मुद्देतीन अक्तूबर के बाद से उत्तर भारत में महसूस किए जा रहे भूकंप के झटके भयभीत करने वाले हैं8 अक्तूबर को अफगानिस्तान में आए भूकंप ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया थाअफगानिस्तान में 3 घंटे के भीतर आए 6 आफ्टर शॉक्स की तीव्रता 4.6 से 6.3 के बीच थी

तीन अक्तूबर के बाद से उत्तर भारत में बार-बार महसूस किए जा रहे भूकंप के झटके भयभीत करने लगे हैं।। इन झटकों को लेकर भारत में चिंता इसलिए पैदा हो रही है क्योंकि 8 अक्तूबर को ही अफगानिस्तान में आए विनाशकारी भूकंप ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था।

यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक अफगानिस्तान में 3 घंटे के भीतर आए 6 आफ्टर शॉक्स की तीव्रता 4.6 से 6.3 के बीच थी और भूकंप के उन झटकों के कारण कई गांव तो पूरी तरह नष्ट हो गए थे।

अफगानिस्तान में उससे पहले 14 सितंबर को भी 4.3 तीव्रता का भूकंप आया था और मार्च में आए भूकंप में भी करीब 13 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 300 लोग घायल हुए थे। करीब सवा साल पहले पक्तिका प्रांत में जून 2022 में आए 6.1 तीव्रता के भूकंप के कारण भी अफगानिस्तान में करीब एक हजार लोग मारे गए थे।

उत्तर भारत में बार-बार लग रहे भूकंप के झटके चिंता इसलिए भी पैदा कर रहे हैं क्योंकि इसी वर्ष तुर्किये में आए भूकंप की विनाशकारी तस्वीरें भी अब तक लोगों के जेहन में जिंदा हैं, जिसमें न केवल हजारों लोगों की जान चली गई थी बल्कि 7.8 तीव्रता के उस भूकंप ने तुर्किये की जमीन को करीब 3 मीटर खिसका भी दिया था।

जगह-जगह लग रहे भूकंप के इन जोरदार झटकों को देखते हुए लोगों के मन में यही सवाल उमड़ने लगे हैं कि कहीं अफगानिस्तान और नेपाल से लेकर उत्तर भारत तक भूकंप के ये झटके किसी बड़ी तबाही का संकेत तो नहीं हैं। भूकंप के लिहाज से भारत को भले ही एक स्थिर क्षेत्र माना जाता रहा है लेकिन सरकारी आंकड़ों के ही मुताबिक देश की करीब 59 प्रतिशत भूमि पर विभिन्न तीव्रता वाले भूकंपों का खतरा हर समय मंडराता रहता है।

भारतीय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के मुताबिक देश की बढ़ती आबादी, बड़े पैमाने पर अवैज्ञानिक ढंग से किए गए निर्माण, विकास गतिविधियों में तेजी इत्यादि कारणों ने भारत को भूकंपीय झटकों के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया है। वहीं, हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान के एक शोध में यह तथ्य भी सामने आ चुका है कि भूकंप का एक बड़ा कारण धरती की कोख से जल का अंधाधुंध दोहन करना भी है।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के आंकड़ों के अनुसार 1960 से लेकर 2000 के बीच 40 वर्षों की अवधि में कुल 73 भूकंप दर्ज किए गए लेकिन उसके बाद की 22 वर्षों की अवधि में ही 602 भूकंप दर्ज किए गए। भूकंप की स्थिति को लेकर पूरी दुनिया के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, वे भी भयावह तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष आए बड़े भूकंपों की औसत संख्या दो दशकों के औसत से भी ज्यादा थी।

टॅग्स :भूकंपभारतअफगानिस्तानएनडीआरएफ
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