आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के एक मंदिर में शनिवार को भगदड़ मचने से नौ लोगों की मौत होने की घटना दु:खद तो है ही, इस कारण से स्तब्ध करने वाली भी है कि ऐसे हादसे एक के बाद एक होते ही जा रहे हैं और इन्हें रोकने के लिए हम कुछ नहीं कर पा रहे! साल 2025 खत्म होने में अभी लगभग दो महीने बाकी हैं और भगदड़ मचने की आठ बड़ी घटनाएं इस साल हो चुकी हैं, जिसमें सवा सौ से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं.
साल की शुरुआत में नौ जनवरी को आंध्र प्रदेश के तिरुमाला हिल्स स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में वैकुंठ द्वार दर्शनम के टिकट के लिए लोग लाइन में लगे थे, तभी अचानक गेट खुलने से मची भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर मची भगदड़ में 30 लोगों के मरने की बात आधिकारिक तौर पर बताई गई.
15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची अफरातफरी में 18 लोग कुचल कर मारे गए थे, जबकि तीन मई को गोवा के शिरगाओ स्थित लैराई देवी जात्रा मंदिर में मची भगदड़ में छह लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. चार जून को बेंगलुरु में मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हुई तो 27 जुलाई को उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर मार्ग पर भगदड़ में नौ लोगों की मौत हो गई.
27 सितंबर को तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से राजनेता बने विजय की रैली में भगदड़ मचने से 41 लोगों की जान चली गई. यह कोई एक साल की बात नहीं है, प्राय: हर साल ही हम इस तरह की त्रासदियों के गवाह बनते हैं. विडंबना यह है कि सभी जगह भगदड़ मचने के कारण मोटे तौर पर एक जैसे ही होते हैं, फिर भी उनसे कोई सबक नहीं लिया जाता!
आंध्रप्रदेश में वेंकटेश्वर मंदिर की ताजा घटना के बारे में तो पुलिस का कहना है कि मंदिर प्रबंधन ने कार्यक्रम के बारे में सूचित ही नहीं किया था! जबकि लोगों ने भगदड़ के लिए भीड़ मैनेजमेंट की कमी और एंट्री-एग्जिट के लिए संकरे रास्ते को जिम्मेदार ठहराया है. बताया जाता है कि अनुमान से बहुत ज्यादा लोग वहां इकट्ठे हो गए थे, जिससे सीढ़ी की रेलिंग टूट गई और लोग नीचे गिर पड़े.
दरअसल हमारे देश में आम लोगों को सार्वजनिक जगहों पर एक तो अनुशासित होकर रहने की आदत नहीं है और दूसरी बात यह कि पुलिसकर्मी पर्याप्त संख्या में तैनात नहीं होते और जो होते भी हैं वे इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षित नहीं होते, जिससे यह भयावह सिलसिला बदस्तूर जारी रहता है. क्या इस पर कभी रोक लग पाएगी?