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ब्लॉग: कृत्रिम वर्षा से मिल सकती है प्रदूषण से राहत

By ऋषभ मिश्रा | Updated: November 9, 2023 11:05 IST

‘क्लाउड सीडिंग’ की वजह से होने वाली इस बारिश को कृत्रिम वर्षा कहते हैं या आर्टिफिशियल रेन कहते हैं। ये कई देशों में होता है। यूएई जैसे देशों में जहां पूरे साल बहुत कम बारिश होती है।

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बीते सोमवार को जब दिल्ली में बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच वर्ल्ड कप का मैच खेला गया, तब दिल्ली का अरुण जेटली क्रिकेट स्टेडियम प्रदूषण की चादर से पूरी तरह से ढका हुआ था। मैच के दौरान दिल्ली की हवा का जो स्तर था (यानी कि एक्यूआई) वो 450 था, जो कि खतरनाक स्तर की श्रेणी में आता है।

जब प्रदूषण के बीच ये मैच शुरू हुआ तब दुनिया भर के मीडिया ने इसकी चर्चा की और इससे भारत की छवि को भी नुकसान हुआ है।दिल्ली में प्रदूषण के पांच बड़े कारण हैं जिसमें पहला कारण है: ‘पराली का धुआं’ जिसका अभी दिल्ली के प्रदूषण में लगभग 40 से 44 फीसदी का योगदान है।

दूसरा कारण है: ‘पेट्रोल और डीजल की गाड़ियों का धुआं’ जिसका अभी दिल्ली के प्रदूषण में लगभग 10 फीसदी योगदान है। तीसरा कारण है: ‘वातावरण में मौजूद धूल और मिट्टी के कण’ चौथा कारण है: ‘कंस्ट्रक्शन यानी निर्माण कार्यों की वजह से होने वाला प्रदूषण’ और पांचवां कारण है: ‘फैक्ट्रियों और पावर प्लांट से निकलने वाला धुआं’. दिल्ली सरकार ने अब तक इसका कोई स्थाई समाधान नहीं खोजा है।

इस बार फिर से सरकार ने प्रदूषण को कम करने के लिए 13 से 20 नवंबर के बीच गाड़ियों पर ऑड और ईवन स्कीम को पुनः लागू करने की बात कही है लेकिन बहुत सारे अध्ययन कहते हैं कि ऑड और ईवन स्कीम से दिल्ली के प्रदूषण पर ‘न’ के बराबर असर होता है।

अब दिल्ली की सरकार ने आईआईटी कानपुर को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें सरकार ने कहा है कि वो दिल्ली में ‘आर्टिफिशियल रेन’ करा कर प्रदूषण से लोगों को राहत दिलाना चाहती है।

आर्टिफिशियल रेन को हिंदी में ‘कृत्रिम वर्षा’ कहते हैं, जो क्लाउड सीडिंग की एक प्रक्रिया से होती है। इस प्रक्रिया में बादलों पर ऐसे केमिकल्स अथवा रसायनों को डाला जाता है, जो पानी की छोटी बूंदों के कणों (‘वाटर ड्रॉप्लेट्स’) को भारी बना देते हैं, और जब इन कणों (ड्रॉप्लेट्स) का वजन बढ़ जाता है और बादल बहुत बड़े हो जाते हैं तो वो बारिश के रूप में बरसने लगते हैं।

‘क्लाउड सीडिंग’ की वजह से होने वाली इस बारिश को कृत्रिम वर्षा कहते हैं या आर्टिफिशियल रेन कहते हैं। ये कई देशों में होता है। यूएई जैसे देशों में जहां पूरे साल बहुत कम बारिश होती है एवं गर्मी बहुत जबरदस्त पड़ती है, वहां अक्सर इस तरह की कृत्रिम वर्षा कराई जाती है। चीन में भी प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राजधानी बीजिंग में क्लाउड सीडिंग की मदद से बारिश कराई जाती है। 

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