लाइव न्यूज़ :

26 November Constitution Day: संविधान में 117369 शब्द?, इस तरह हमने पाया दुनिया का सबसे बड़ा संविधान

By कृष्ण प्रताप सिंह | Updated: November 26, 2024 14:24 IST

26 November Constitution Day: 1946 में गठन के वक्त संविधान सभा के कुल 389 सदस्यों में 15 महिलाएं थीं यानी उनका प्रतिनिधित्व चार प्रतिशत से भी कम था.

Open in App
ठळक मुद्देविभाजन के बाद कुल सदस्यों की संख्या घटकर 299 हो गई जबकि महिलाओं की बारह. 229 सदस्य निर्वाचित होकर आए थे, जबकि 70 को मनोनीत किया गया था. स्वतंत्रता संघर्ष के महानायक महात्मा गांधी ने नैतिक कारणों से उसमें रहने से इनकार कर दिया था.

26 November Constitution Day: ‘हम भारत के लोग’ गर्व से कहते हैं कि हमारा संविधान आकार में दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है. मूल रूप से अंग्रेजी में लिखे गए इस संविधान में 117369 शब्द हैं. लेकिन हममें से कम ही लोग जानते हैं कि इसके निर्माण की राह कितनी ऊबड़-खाबड़ रही है और इसके निर्माताओं ने कितने कांटे बुहारकर हमें इससे उपकृत किया है. इसे जानने चलें तो हम पाते हैं कि 1946 में आजादी की आहट सूंघ रहे अविभाजित देश में छह दिसंबर को गठित संविधान सभा ने अपना काम शुरू ही किया था कि बंटवारे का कहर टूट पड़ा और वह भी विभाजित होने को अभिशप्त हो गई. 1946 में गठन के वक्त संविधान सभा के कुल 389 सदस्यों में 15 महिलाएं थीं यानी उनका प्रतिनिधित्व चार प्रतिशत से भी कम था.

विभाजन के बाद कुल सदस्यों की संख्या घटकर 299 हो गई जबकि महिलाओं की बारह. इनमें 229 सदस्य निर्वाचित होकर आए थे, जबकि 70 को मनोनीत किया गया था. इस सभा में देशी रियासतों तक के प्रतिनिधि शामिल थे, लेकिन स्वतंत्रता संघर्ष के महानायक महात्मा गांधी ने नैतिक कारणों से उसमें रहने से इनकार कर दिया था.

कहते हैं कि कांग्रेस के प्राबल्य के बावजूद सभा के सदस्यों में वैचारिक एकता या तालमेल के अभाव ने भी महात्मा को उससे दूर रहने के लिए प्रेरित किया था. अलबत्ता, उन्होंने संविधान निर्माण की शुभकामनाएं देने से गुरेज नहीं किया था. एक और विडंबना यह कि विभाजन के बाद बाबासाहब डॉ. भीमराव आंबेडकर भी भारतीय संविधान सभा में नहीं रह गए थे.

कारण यह कि पूर्वी बंगाल का वह क्षेत्र, जिसके वोटों से वे अविभाजित भारत की संविधान सभा के लिए चुने गए थे, विभाजन के बाद पूर्वी पाकिस्तान में चला गया और वे भारतीय संविधान सभा के नहीं, पाकिस्तान की संविधान सभा के सदस्य हो गए. यह और बात है कि उन्होंने इस स्थिति को स्वीकार नहीं किया और बाद में कांग्रेस के एक सदस्य के इस्तीफे से रिक्त सीट का उपचुनाव जीतकर भारतीय  संविधान सभा की सदस्यता पा ली. अनंतर, वे इस सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष बने और संविधान के निर्माता कहलाए.

संविधान निर्माण के बाद अपने वक्त के मशहूर कैलीग्राफर प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथ से लिखकर उसकी मूल (अंग्रेजी) प्रति तैयार की. इस काम में उन्होंने 6 महीने लगाए, 432 निबें घिसाईं और सैकड़ों बोतल स्याही खपा डाली. लेकिन उन्होंने इसकी फीस नहीं ली.

बस, इतना चाहा कि उनकी  लिखी प्रति के हर पेज पर उनका और अंतिम पेज पर उनके गुरु व दादा मास्टर राम प्रसाद सक्सेना का नाम रहे. उनकी इस इच्छा का सम्मान किया गया. यहां यह जानना भी दिलचस्प है कि संविधान का मसौदा बनाने में कुल मिलाकर दो साल, ग्यारह महीने और सत्रह दिन लगे थे और इस दौरान संविधान सभा के कुल मिलाकर 165 दिनों के ग्यारह सत्र आयोजित किए गए थे.

टॅग्स :संसदसंविधान दिवसमहात्मा गाँधीजवाहरलाल नेहरूबी आर आंबेडकर
Open in App

संबंधित खबरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतसांसद जब पढ़ेंगे नहीं तो संसद में गंभीर चर्चा कैसे कर पाएंगे?

भारतParliament Winter Session: संसद शीतकालीन सत्र से पहले सर्वदलीय बैठक, विपक्ष के नेता मौजूद; SIR पर हो सकती है बहस

क्राइम अलर्टUP News: बलिया में अज्ञात लोगों ने आंबेडकर प्रतिमा को किया क्षतिग्रस्त, मामला दर्ज

भारतConstitution Day 2025: पीएम मोदी ने संविधान दिवस पर नागारिकों को दिया संदेश, कहा- "संवैधानिक कर्तव्य मजबूत लोकतंत्र की नींव"

भारत अधिक खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दिए, DGCA के FDTL ऑर्डर तुरंत प्रभाव से रोके गए

भारतबिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र हुआ अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित, पक्ष और विपक्ष के बीच देखने को मिली हल्की नोकझोंक

भारतBihar: तेजप्रताप यादव ने पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ कुमार दास के खिलाफ दर्ज कराई एफआईआर

भारतबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हुआ लंदन के वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज, संस्थान ने दी बधाई