PLI scheme: प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना का सबसे ज्यादा असर ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स (दवा उद्योग) के निर्यात में देखने को मिला है. अब भारतीय दवाओं का निर्यात पश्चिमी देशों में लगातार बढ़ रहा है. इन देशों में अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, रूस और यूक्रेन शामिल हैं. दक्षिण अफ्रीका में भी दवाओं का निर्यात बढ़ा है. यूरोप, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीकाई देशों में बड़ी मात्रा में दवाओं का निर्यात होने से इस क्षेत्र में भारत की साख वैश्विक स्तर पर स्थापित हो रही है. 2019-20 में दवाओं का निर्यात 20.68 अरब डाॅलर होता था.
जो 2023-24 में बढ़कर 28 अरब डाॅलर हो गया है. इस निर्यात में रेखांकित करने वाली बात है कि चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से सितंबर माह के बीच जहां कुल वस्तुओं के निर्यात में सिर्फ एक प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं दवाओं के निर्यात में 7.99 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है. अप्रैल से सितंबर के बीच 14.45 अरब डाॅलर की दवाएं निर्यात की जा चुकी हैं.
दवा निर्माण करने वाले उद्योगों के पास जो अग्रिम आदेश आ चके हैं, उनके अनुसार इस वित्तीय वर्ष के अंत तक दवा निर्यात का आंकड़ा 30 अरब डाॅलर पार करने की उम्मीद की जा रही है. कोरोना महामारी तक दवा के कच्चे माल और अन्य कई प्रकार की दवाओं की उपलब्धता के लिए भारत एक हद तक आर्यात पर निर्भर था.
इसे भारत सरकार ने एक चुनौती के रूप में लिया और दवा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के नजरिए से पीएलआई योजना लाई गई. इस योजना के अंतर्गत दर्जनों कंपनियां प्रोत्साहित हुईं और गुणवत्तापूर्ण दवाओं का उत्पादन करने लग गईं. उत्पादन बढ़ा तो निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ने लगीं. जिसका परिणाम अब प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है.
तरल नीति बनी तो इन औषधि उद्योगों ने उत्तम गुणवत्ता की दवाएं बनाने के साथ दरें भी अपेक्षाकृत कम रखीं. इस कारण महंगी दवाओं के चलते इलाज न करा पाने वाले दुनिया के करोड़ों गरीब मरीजों के लिए भारत हमदर्द बन गया. भारत ने ब्रांडेड दवाओं के साथ सस्ती जेनेरिक दवाओं का निर्माण करने के साथ पूरी दुनिया में इनका निर्यात भी किया.
फार्मा विशेषज्ञ पदोन्नति परिषद के मुताबिक वर्ष 2021-22 में भारत ने 24.47 अरब डाॅलर की दवाओं का निर्यात किया था, जिसके 2030 तक 70 अरब डाॅलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है. वर्तमान में दुनिया के 206 से अधिक देशों में भारत दवाओं का निर्यात करता है. इनमें जेनेरिक दवाएं कम हैं, ब्रांडेड दवाओं का निर्यात ज्यादा होता है. भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और आस्ट्रेलिया से जो द्विपक्षीय व्यापार समझौता किया था, उसके तहत भी भारत से दवाओं का निर्यात बढ़ा है.