लाइव न्यूज़ :

भारत में हर घंटे एक छात्र की आत्महत्या के पीछे किसका हाथ? 

By धीरज पाल | Published: June 09, 2018 5:58 PM

सीबीएसई नीट में फेल होने के बाद द्वारका के एक छात्र ने खुदकुशी कर लिया। एक रिसर्च के मुताबिक भारत में प्रत्येक घंटे में एक छात्र आत्महत्या कर रहा है।

Open in App

इस वक्त भारत के अलग-अलग राज्यों के स्कूली बोर्ड के परिणाम की घोषणा हो रही है। कुछ राज्यों के स्कूली बोर्ड को छोड़कर करीब-करीब सभी राज्यों के स्कूली बोर्ड के परिणाम घोषित हो चुके हैं। रिजल्ट घोषित होने के बाद दो खबरें अक्सर सुर्खियां बनती हैं एक टॉपर की और दूसरी फेल होने के बाद आत्महत्या करने की। हर साल की तरह इस साल भी कई छात्रों ने आत्महत्या कर अपनी जान गंवा दी। फिल्म थ्री इडिएट में एक डॉयलॉग है कि हमारे देश में छात्र बीमारी से कम आत्महत्या से ज्यादा मरते हैं। ऐसा क्यों इसका जवाब भी इसी फिल्म में है। हाल के कुछ ऐसे ही वारदातों पर गौर करें। टाइम्स ऑफ इंडिया के एक खबर के मुताबिक भोपाल पुलिस ने बताया कि इस साल मध्य प्रदेश में कक्षा 10वीं और 12वीं में लगभग 12 छात्रों ने खुदकुशी। सीबीएसई नीट में फेल होने के बाद द्वारका के एक छात्र ने खुदकुशी कर लिया। एक रिसर्च के मुताबिक भारत में प्रत्येक घंटे में एक छात्र आत्महत्या कर रहा है। वैसे ये आंकड़े आने वाले भारतीय शिक्षा दिशा के लिए बेहद खतरनाक साबित होते जा रहे हैं। 

कौन है 10वीं और 12वीं के छात्रों का दुश्मन

जेहन में एक प्रश्न उठता है कि आखिर कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्र फेल होने पर आत्महत्या क्यों करते हैं और इन छात्रों का कौन दुश्मन है। दरअसल, इसके पीछे कई वजह हो सकते हैं। कक्षा 10वीं और 12वीं में जैसे ही छात्र प्रवेश करता है वैसे ही उसपर पढ़ाई का प्रेशर बढ़ने लगता है। यह प्रेशर कई जगहों से ज्यादा हमें अपने बड़ों से मिलता है। परिवार, रिश्तेदार, शिक्षक और आसपास के बड़े-बुजूर्ग ही उनके दूश्मन होते हैं। बोर्ड के दौरान उनकी नजरें हमेशा गड़ी रहती है। इस दौरान छात्र टीवी या खेलते वक्त किसी बड़े बुजूर्ग के निगाह में आएं फौरन ही उन्हें बोर्ड का हवाला देकर डांट देते हैं। यही डांट उनके लिए अंदर ही अंदर बड़े घाव पनने की नींव पैदा करती है। जिसे डर कहते हैं। यही डर उनके लिए आत्महत्या के रास्ते खोलते हैं। 

यह भी पढ़ें - नजरिया: स्कूल बोर्ड से ही कमजोर होने लगती है भारत की शिक्षा व्यवस्था

जिंदगी सीमित अंको तक नहीं सीमित है

फिल्म थ्री इडिएट में एक डॉयलॉग है कि यहां कोई नए आईडिया की बात नहीं करता है और न ही नई खोज की बात करता है। यहां पर बात करते हैं कि मार्क्स की या यूएसए में नौकरी करने की। इन बातों से एक बात तय है कि हमारा जिंदगी अंको तक सीमित नहीं है। हमेशा अपने बच्चों से अच्छे अंक पाने की उम्मीद रखना अच्छी बात लेकिन अत्यधिक चाहत रखना अच्छी बात नहीं। कई बार बच्चे आत्महत्या इसलिए करते हैं कि लोग क्या कहेंगे। लोगों को क्या जवाब दूंगा कि मैं फेल हो गया। एक गलत फैसला उनकी जीवन बर्बाद हो जाता है।   

टॅग्स :एग्जाम रिजल्ट्सबोर्ड परीक्षा 2018
Open in App

संबंधित खबरें

भारतTN 10th Result 2024 Declared: तमिलनाडु के 10वीं कक्षा के परिणाम घोषित, इन आसान स्टेप्स के जरिए देखें रिजल्ट

भारतICSE, ISC Result 2024: CISCE जल्द जारी करेगा कक्षा 10वीं और 12वीं का रिजल्ट, यहां जानें सही डेट और चेक करने का तरीका

भारतVITEEE 2024 Result Declared: खुशखबरी! वीआईटीईईई का रिजल्ट हुआ जारी, यहां देखें डायरेक्ट लिंक और डाउनलोड करने का तरीका

भारतICSI Result Dec 2023: अब से कुछ देर बाद रिजल्ट हो जाएगा आउट, यहां पढ़ें कहां और कैसे देखें

भारतLokmat Impect: खबर पर संज्ञान,28 हजार पदों पर होगी भर्ती, MP सामान्य प्रशासन विभाग का PEB को पत्र

पाठशाला अधिक खबरें

भारतCA Inter Result 2023: सीए इंटर नवंबर 2023 का रिजल्ट जारी, जानिए कहां और कैसे देखें

पाठशालाUGC NET December 2023: अभी तक नहीं भरा है फॉर्म, तो हो जाएं सतर्क! कल है अंतिम तिथि

पाठशालाDelhi University: मीडिया इंटर्नशिप करने के लिए छात्रों के पास मौका, जानिए कैसे करें आवेदन

पाठशालाब्लॉग: स्कूल में मोबाइल पर पाबंदी की पहल

पाठशालाHealth Care Sector: दसवीं के बाद आईएचसीई से कोर्स कर ग्रामीण क्षेत्र के हेल्थ केयर में बनाएं करियर