आईसीसी ने लंबे समय से प्रस्तावित और चर्चा में रहे वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के शेड्यूल को जारी कर दिया है। इस चैम्पियनशिप में 9 टीमें होंगी और करीब दो साल तक सभी टीमें छह-छह टेस्ट सीरीज खेलेंगी। इन टीमों में से टॉप दो टीमें फाइनल में जाएंगी। आईसीसी की ये पूरी योजना भले ही रोचक लग रही है लेकिन सवाल है कि शेड्यूल से लेकर दो साल की जद्दोजहद और फाइनल तक पहुंचने तक का इस चैम्पियनशिप का सफर क्या वाकई इतना दिलचस्प होगा?
करीब 21 साल पहले आईसीसी के एक कॉन्फ्रेंस में जब अली बैकर और क्लाइव लॉयड ने टेस्ट के किसी वर्ल्ड चैम्पियनशिप जैसे विचार को रखा तब इस पर बहुत गंभीर बहस नहीं हुई। अब लेकिन इसे बदलते समय का दस्तूर कहिए या फिर बीच-बीच में टेस्ट मैच को बचाने की उठने वाली आवाज, आईसीसी में पिछले चार-पांच सालों पर इसे लेकर खूब बहस हुई और अब यह साकार लेने जा रहा है।
यह भी पढ़ें- ICC ने की 9 देशों की टेस्ट चैंपियनशिप, 13 टीमों की वनडे लीग की घोषणा, पांच साल का फ्यूचर टूर प्रोग्राम जारी हालांकि, वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का जो पूरा शेड्यूल है उसमें आईसीसी की मजबूरी भी साफ झलकती है और आने वाले दिनों में शायद इस पर बहस भी हो। दुनिया भर के क्रिकेट बोर्ड्स की अपनी-अपनी रूचि और फायदे देखने के बीच ऐसा लगता है कि बहुत मुश्किल से ये पूरा शेड्यूल डिजाइन किया गया है। कई मसले वक्त-बेवक्त साफ तौर पर नजर आते रहे हैं। मसलन- हर कोई भारत के साथ खेलना चाहता है, भारत को पाकिस्तान के साथ नहीं खेलना, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की एशेज में अपनी रूची है और हर क्रिकेट बोर्ड को अपने-अपने लीग के लिए कुछ समय भी चाहिए।
टी20 और वर्ल्ड कप जैसे टूर्नामेंट में ये तमाम पहलू कभी बाधा नहीं बने लेकिन टेस्ट चैम्पियनशिप के लिए इन सभी आशंकाओं से बचते-बचाते एक रूप-रेखा तैयार कर ली गई। टेस्ट चैम्पियनशिप के मौजूदा शेड्यूल में ग्रुप का कोई कॉन्सेप्ट नहीं और सब कुछ लगभग वैसा ही है, जैसा पांच सालों के क्रिकेट कार्यक्रम में होता है।
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आईसीसी ने बस इन सभी द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज को मिलाकर एक अलग प्वाइंट सिस्टम तैयार कर लिया जो वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल तक पहुंचने का भी आधार बनेगा। मसलन अगर इंग्लैंड और भारत के बीच पांच टेस्ट मैच खेले जा रहे हैं तो सीरीज तो अपनी जगह होगी लेकिन इन मैच के साथ कुछ प्वाइंट भी मिलेंगे जो टेस्ट चैम्पियनशिप के प्वाइंट-टेबल में जुड़ते चले जाएगे।
साफ है कि 9 टीमों में से केवल 7 टीमें एक-दूसरे के खिलाफ खेलेगी। ये फॉर्मेंट कितना संतुलित है और अगर नहीं है तो क्या इस पर सवाल नहीं उठने चाहिए?
इन सबके बीच इस चैम्पियनशिप से एक अच्छी बात सामने आ सकती है और वो ये किसी दो देशों के बीच सीरीज में दूसरे देशों के फैंस भी दिलचस्पी लेंगे, जो आमतौर पर द्विपक्षीय सीरीज में नजर नहीं आती। ऐसा इसलिए क्योंकि हर मैच का नतीजा प्वाइंट टेबल पर दिखेगा। साथ ही ये भी हमें नहीं भूलना चाहिए कि ये कम से कम शुरुआत तो है। टेस्ट बचेगा या नहीं, ये सवाल दूर की कौड़ी है लेकिन पहल का स्वागत तो किया ही जा सकता है।
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