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Trump’s tariff war: टैरिफ वॉर से मुकाबला करेगी मजबूत ग्रामीण आर्थिकी?, बजट 2025-26 में 188754 करोड़ का प्रावधान

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: March 18, 2025 05:12 IST

Trump’s tariff war: ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए इस बार केंद्रीय बजट 2025-26 में 1,88,754 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है.

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ठळक मुद्देनए बजट में कृषि एवं किसान कल्याण का बजट आवंटन 1.71 लाख करोड़ रुपए किया गया है.इनसाइट सर्वे में कहा गया है कि भारतीय किसान तेजी से डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं. वर्ष 2024 में भारत में 40 फीसदी किसानों के द्वारा रुपयों का भुगतान डिजिटल माध्यम से किया गया है.

Trump’s tariff war: इस समय जब भारत टैरिफ वृद्धि के मद्देनजर अमेरिका के निशाने पर है, तब अर्थविशेषज्ञों का यह भी मत है कि भारत अपनी मजबूत ग्रामीण आर्थिकी से टैरिफ मार का मुकाबले करने में सक्षम रहेगा. गौरलतब है कि भारत ने ट्रम्प के द्वारा टैरिफ बढ़ाने की चुनौती का सामना करने के मद्देनजर एक अप्रैल 2025 से प्रभावी होने वाले वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट के तहत कृषि और ग्रामीण विकास की मजबूती के लिए अभूतपूर्व बजट प्रावधान किए हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिए इस बार केंद्रीय बजट 2025-26 में 1,88,754 करोड़ रु. का प्रावधान किया गया है.

नए बजट में कृषि एवं किसान कल्याण का बजट आवंटन 1.71 लाख करोड़ रुपए किया गया है. जो पिछले वर्ष के बजट की तुलना में 11 फीसदी अधिक है. हाल ही में प्रकाशित मैकिन्से ग्लोबल फार्मर्स इनसाइट सर्वे में कहा गया है कि भारतीय किसान तेजी से डिजिटल पेमेंट को अपना रहे हैं. वर्ष 2024 में भारत में 40 फीसदी किसानों के द्वारा रुपयों का भुगतान डिजिटल माध्यम से किया गया है.

वहीं वर्ष 2022 में केवल 11 फीसदी किसान ही डिजिटल भुगतान का इस्तेमाल कर रहे थे. रिपोर्ट के अनुसार, नगद भुगतान करने वाले किसानों की संख्या घटकर 24 फीसदी रह गई है. वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 81 फीसदी था. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में देश में फसल बीमा का इस्तेमाल करने वाले महज 8 फीसदी किसान थे, वह वर्ष 2024 में बढ़कर 37 फीसदी हो गए हैं.

यह भी पाया गया है कि 11 फीसदी किसान वर्ष 2024 में जैविक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि वर्ष 2022 में 2 प्रतिशत किसान ही जैविक उत्पादों का इस्तेमाल कर रहे थे. निश्चित रूप से मजबूत ग्रामीण आर्थिकी ट्रम्प के टैरिफ के मुकाबले के लिए भारत का एक मजबूत हथियार दिखाई दे रही है.

लेकिन अमेरिका के टैरिफ से निर्मित होने वाली विभिन्न चुनौतियों के मुकाबले के लिए अभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने पर रणनीतिपूर्वक ध्यान देना जरूरी है. इसमें कोई दो मत नहीं कि पारस्परिक शुल्क के कारण भारतीय कृषि व प्रोसेस्ड फूड के निर्यात प्रभावित होने की चुनौती बनी हुई है.

हम उम्मीद करें कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प के द्वारा पारस्परिक शुल्क के कारण भारत के कृषि निर्यात के समक्ष निर्मित होने वाली चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत की मजबूत ग्रामीण आर्थिकी एक असरकारक हथियार के रूप में अपनी उपयोगिता देते हुए दिखाई देगी.

हम उम्मीद करें कि सरकार अमेरिकी टैरिफ से निर्मित चुनौतियों का मुकाबला करने और विकसित भारत 2047 के लिए आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत के परिप्रेक्ष्य में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और सशक्त बनाने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेगी.

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