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Trade war: क्या चीन के खिलाफ चलेगा...ट्रम्प कार्ड?, 60 देशों पर टैरिफ लगाया तो फिर 90 दिनों के लिए स्थगित क्यों किया?

By विजय दर्डा | Updated: April 14, 2025 05:31 IST

Trade war: ऐसे और भी सवाल हैं जिनका जवाब वक्त के गर्भ में है! यदि यह चीन को घेरने की सोची-समझी रणनीति है तो यह ट्रम्प कार्ड कितना कारगर होगा?

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ठळक मुद्दे10 प्रतिशत टैरिफ लगा रहेगा जो सामान्य तौर पर किसी के लिए भी ज्यादा चिंता की बात नहीं है.सबके लिए चिंता की बात यह है कि 90 दिनों की शांति के बाद ट्रम्प का रुख क्या होगा? चीनी टैरिफ भी 125 प्रतिशत तक जा पहुंचा है.

Trade war:  इस वक्त कई बड़े सवाल सामने हैं. अमेरिका फर्स्ट की नीति के तहत ट्रम्प ने दुनिया के 60 देशों पर टैरिफ लगाया तो फिर उसे 90 दिनों के लिए स्थगित क्यों किया? क्या वे बाजार में आए भूचाल और अमेरिका में प्रदर्शन से दबाव में आ गए? या फिर चीन के खिलाफ ट्रेड वॉर में उन्हें यूरोप जैसे पुराने सहयोगियों का साथ चाहिए इसलिए? क्या ट्रम्प के ट्रेड वॉर में चीन वाकई उलझ गया है? ऐसे और भी सवाल हैं जिनका जवाब वक्त के गर्भ में है! यदि यह चीन को घेरने की सोची-समझी रणनीति है तो यह ट्रम्प कार्ड कितना कारगर होगा?

ट्रम्प के टैरिफ से कुलबुलाए, घबराए और अंदर ही अंदर बौखलाए सभी 60 प्रभावित देश इस बात का आकलन करने में लगे थे कि वे क्या काट निकालें तभी अचानक ट्रम्प ने चीन को छोड़ कर बाकी देशों के लिए 90 दिनों तक टैरिफ स्थगन की घोषणा कर दी. लेकिन 10 प्रतिशत टैरिफ लगा रहेगा जो सामान्य तौर पर किसी के लिए भी ज्यादा चिंता की बात नहीं है.

लेकिन सबके लिए  चिंता की बात यह है कि 90 दिनों की शांति के बाद ट्रम्प का रुख क्या होगा? वे कौन सी चाल चलने वाले हैं? इसे समझने के लिए इस बात पर गौर करना जरूरी है कि ट्रम्प ने चीन को कोई मोहलत नहीं दी है. बल्कि उस पर जो टैरिफ 20 प्रतिशत हुआ करता था, उसे बढ़ा कर 145 प्रतिशत कर दिया है. जवाब में चीनी टैरिफ भी 125 प्रतिशत तक जा पहुंचा है.

इसका मतलब साफ है. दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर शुरू हो चुका है. चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अंतिम दम तक लड़ेगा. अमेरिका की धमकी को स्वीकार नहीं करेगा. चीन के मन में कहीं न कहीं यह चल रहा है कि अमेरिका से नाराज देश उसके साथ आ सकते हैं. साथ न भी आएं तो कम से कम न्यूट्रल बने रह सकते हैं.

यूरोपीय संघ से तो शी जिनपिंग ने कहा भी है कि सबको मिलकर अमेरिका की एकतरफा धौंस का विरोध करना चाहिए. चीन आगे कोई चाल चलता, इससे पहले ही ट्रम्प ने अन्य सभी देशों के लिए टैरिफ 90 दिनों तक स्थगित करके चीन की मंशा पर पानी फेर दिया है. हालांकि टैरिफ लागू करने से पहले ट्रम्प ने भावावेश में अपने सहयोगी देशों को लुटेरा तक कह दिया है!

मगर व्यापार में शायद भाषा बहुत महत्वपूर्ण नहीं होती, महत्वपूर्ण होता है मुनाफा और सहूलियत. यदि अमेरिका सहूलियत देता है तो ये देश उसके साथ बने रहेंगे क्योंकि चीन किसी भी रूप में भरोसे वाला देश नहीं है. तो ऐसी स्थिति में चीन का क्या होगा क्योंकि दुनिया की दूसरी बड़ी महाशक्ति होने के बावजूद उसकी आंतरिक स्थिति ठीक नहीं है.

रियल एस्टेट कारोबार बुरे दौर में है, बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में निर्यात में कमी आई तो बहुत से कारखाने बंद हो जाएंगे. अकेले अमेरिका को ही चीन करीब 440 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है. जब इस पर 145 प्रतिशत का टैरिफ होगा तो इतना महंगा माल कौन खरीदेगा? चीन दूसरे देशों के मार्फत सामान अमेरिका नहीं भेज पाएगा क्योंकि उन देशों पर ट्रम्प की खास नजर है.

निश्चित रूप से अमेरिका को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा. अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी. लेकिन ध्यान रखिए कि ट्रम्प ने पहले ही कह दिया है कि अमेरिका अमीर देश है. इसका मतलब है कि इस तरह के घाटे के लिए अमेरिका तैयार है. वैसे अमेरिका को परेशान करने के लिए चीन दूसरे रास्ते भी अपनाएगा.

मौजूदा दौर में सबसे महत्वपूर्ण तांबे और लीथियम जैसी धातुओं को रिफाइन करने में चीन को महारत हासिल है. चीन चाहेगा कि इन्हें हासिल करने में अमेरिका को परेशानी हो. अमेरिकी सेना थर्मल इमेजिंग के लिए जिस गैलियम और जर्मेनियम नाम के धातु का उपयोग करती है, उसकी आपूर्ति में चीन ने पहले ही बाधाएं खड़ी कर रखी हैं.

इसी तरह अमेरिका उन सभी चीजों की पहुंच चीन तक मुश्किल बनाने की कोशिश करेगा जो चीन के उद्योग जगत के लिए जरूरी हों. उदाहरण के लिए एडवांस्ड माइक्रोचिप ऐसी ही सबसे जरूरी चीज है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होती है. चीन के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि रूस को छोड़ दें तो शायद ही कोई अन्य बड़ा देश उसके साथ खुलकर खड़ा होगा.

ट्रम्प ने यदि दुनिया को साथ में रखकर चीन के साथ ये आर्थिक जंग लड़ी तो चीन के लिए आने वाला वक्त संकटों से भरा होगा. लेकिन ट्रम्प तो ट्रम्प हैं. उन्हें अपना हर कार्ड ‘ट्रम्प कार्ड’ नजर आता है. पता नहीं, कल कौन सा कार्ड चल दें!

आरजू काजमी के साहस को सलाम!

और अंत में बात पाकिस्तान की बेखौफ पत्रकार आरजू काजमी की. उन्हें इस बात का मलाल है कि 1947 में उनके पुरखे भारत छोड़ कर पाकिस्तान चले गए थे. आरजू इस्लामाबाद में रहती हैं और पाकिस्तानी हुक्मरानों, सीआईए और सेना की बेधड़क पोल खोलती हैं. वह भारत की तरक्की की तारीफ करती हैं और बताती हैं कि किन लोगों ने पाकिस्तान का बेड़ा गर्क किया है.

वर्षों से उन्होंने निडर पत्रकारिता का परचम फहरा रखा है लेकिन अब उनकी जान खतरे में है. उनके बैंक खाते से लेकर सभी कार्ड्स और पासपोर्ट फ्रीज कर दिए गए हैं. वे संकट में हैं. उन्होंने वीडियो जारी करके दुनिया को खबर दी है और कहा है कि वे झुकेंगी नहीं. आपके साहस को सलाम आरजू! हम आपकी सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं.

टॅग्स :चीनअमेरिकाडोनाल्ड ट्रंपशी जिनपिंग
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