Online Money Games: ऑनलाइन मनी गेम्स को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है. इसके बाद गेम्स के पक्षधरों ने हाय-तौबा मचाना शुरू कर दिया है. उनका तर्क है कि इससे 400 रियल मनी गेम्स से जुड़े करीब ढाई लाख लोग बेकार हो गए हैं और उनके पास कोई काम नहीं बचा है. यह भी कहा जा रहा है कि सरकार ने बिना सोचे-समझे या बिना वैकल्पिक रोजगार के ही अचानक ऐसा फैसला ले लिया. ऐसे रियल मनी गेम्स प्लेटफॉर्म से सरकार को करीब 2.3 अरब डॉलर का टैक्स भी मिल रहा था क्योंकि भारत सरकार ने 2023 से ऑनलाइन गेम्स पर 28 प्रतिशत का टैक्स लगाया हुआ था.
गेमिंग के पक्ष में बहुत सारे और भी तर्क दिए जा रहे हैं कि यह जुआ नहीं है बल्कि हुनर है, इसे इसी रूप में देखा जाना चाहिए था. लेकिन केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में जो कहा है, वह रोंगटे खड़े कर देता है. उनका कहना है कि ऑनलाइन मनी गेम्स ने 45 करोड़ भारतीयों को दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया है.हालात ऐसे हैं कि बहुत से लोग आज डिप्रेशन की स्थिति में हैं.
कहा तो यह भी जा रहा है कि ऑनलाइन गेम्स में अपना सब कुछ गंवा बैठे कई लोगों ने अपनी जिंदगी ही समाप्त कर ली. अब सवाल उठता है कि ऑनलाइन मनी गेम्स क्या वास्तव में हुनर के आधार पर प्रतिफल देता है या फिर एक ऐसा जुआ है जहां आपके जीतने की संभावना अत्यंत कम होती है?
यदि आप विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि भले ही इस पर हुनर का ठप्पा लगा हो लेकिन हकीकत यह है कि बहुत हुनरमंद लोग भी इस तथाकथित गेम्स से ज्यादा पैसा नहीं बना पाते हैं. पैसा तो वही बनाता है जो इसे संचालित करता है. अब आप इस बात पर नजर डालिए कि ऑनलाइन गेमिंग वाली कंपनियां किस तरह से धन बटोरती रही हैं.
एक कंपनी है ड्रीम 11 जिसकी शुरुआत 2008 में हुई और आज वह कंपनी 8 अरब डॉलर की हो चुकी है. इसी तरह माई 11 सर्कल नाम की कंपनी 2019 में शुरू हुई और आज 2.5 अरब डॉलर की हो चुकी है. ड्रीम 11 भारतीय क्रिकेट टीम की मुख्य स्पांसर रही है जबकि माई 11 सर्कल इंडियन प्रीमियर लीग से जुड़ी थी. धड़ल्ले से धन बटोरने वाली ऐसी और भी कंपनियां हैं.
सवाल यह है कि इन कंपनियों के पास आखिर इतना पैसा कहां से आया? इनकी ज्यादातर राशि तो उन्हीं की जेब से आई होगी जो उनके प्लेटफार्म पर गेम्स खेलने आए. यदि ये कंपनियां हुनरमंदों को पैसा दे रही होतीं तो जाहिर तौर पर उन्हें इतना मुनाफा नहीं होता. दरअसल इस तरह के खेल रचे ही इस तरह जाते हैं और इनकी व्यूहरचना इस कदर होती है कि शुरुआती दौर में जब आप छोटी रकम से खेल रहे हों तो आपको थोड़ा मुनाफा हो जाए और बाद में लत लग जाए. फिर आप बड़ी रकम हारते चले जाएं.
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और असम जैसे राज्यों ने इस चोरबाजारी को पहले ही समझ लिया था और पाबंदी लगा दी थी. जो लोग हुनर की बात कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि जो लोग ताश का पत्ता लेकर जुआ खेलते हैं उन्हें भी जीतने के लिए हुनर की जरूरत होती है! इसलिए केवल हुनर की बात कह कर उनका हाय तौबा मचाना किसी भी सूरत में स्वीकार योग्य नहीं है.
भारत सरकार ने बिल्कुल सही कदम उठाया है. इस तरह का कदम बहुत पहले उठाना चाहिए था. परंतु, देर आए...दुरुस्त आए. ध्यान रखने वाली बात यह है कि अब इस तरह के जुआ वाले गेम्स चोरी छुपे चलाने की कोशिश की जाएगी. इंटरनेट की अथाह काली दुनिया इसके लिए अवसर उपलब्ध कराने से बाज नहीं आएगी. इसलिए बहुत सतर्क रहने की जरूरत है और सख्ती से प्रहार करने की जरूरत होगी.