Online Gaming Bill: केंद्रीय सरकार युवाओं को ऑनलाइन गेमिंग के चंगुल से बाहर निकालने और उन्हें सही दिशा दिखाने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 लेकर आई है. इस बिल के विधिवत कानून बनने के बाद पैसों से जुड़े सभी ऑनलाइन गेमिंग एप्लीकेशन पर रोक लगा दी जाएगी. सरकार का यह निर्णय निश्चित रूप से युवाओं के भविष्य को बचाने और समाज में फैल रही बुराइयों पर नियंत्रण लगाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
यह कदम जितना सराहनीय है उतना ही सार्थक भी है, क्योंकि आज की युवा पीढ़ी का एक बड़ा हिस्सा मोबाइल गेमिंग और ऑनलाइन सट्टेबाजी में फंसता जा रहा है. इस बिल में स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं कि ऑनलाइन गेम खेलने वाले सामान्य खिलाड़ियों को कोई दंड नहीं मिलेगा, बल्कि कार्रवाई उन लोगों पर होगी जो इस तरह के एप संचालित करते हैं.
ऐसे संचालकों को एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना और तीन साल तक की कैद भुगतनी पड़ सकती है. इतना ही नहीं, जो बड़े सितारे और सेलिब्रिटी इन गेमिंग एप्स का विज्ञापन करके युवाओं को बरगलाते हैं, उन पर भी दो साल तक की कैद और पचास लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाएगा.
इस प्रकार सरकार ने महज संचालकों पर ही नहीं बल्कि ऐसे प्रचार-प्रसार करने वालों पर भी शिकंजा कसने का साफ संदेश दिया है. एक अनुमान के मुताबिक भारत का ऑनलाइन गेमिंग बाजार वर्ष 2016 में लगभग 54.30 करोड़ डॉलर का था. लेकिन महज छह वर्षों में यानी वित्त वर्ष 2022 तक यह बढ़कर लगभग 206 अरब डॉलर तक पहुंच गया.
यह बढ़ोतरी महज आर्थिक पहलू नहीं दिखाती बल्कि इस बात की भी पुष्टि करती है कि भारत में लोग किस तेजी से इस लत का शिकार हो रहे हैं. गौरतलब है कि भारत इस वक्त पूरी दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल गेम खेलने वाला देश बन चुका है. 2025 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 56.8 करोड़ गेमर्स हैं और 2023 में 9.5 बिलियन से अधिक गेमिंग ऐप डाउनलोड हुए हैं,
जो इसे एक बड़ा गेमिंग बाजार बनाता है. वित्त वर्ष 2022 के दौरान ही भारत में लगभग 12 करोड़ मोबाइल यूजर्स ऐसे थे जिन्होंने ऑनलाइन गेमिंग के लिए वास्तविक धन का भुगतान किया. यह रकम गैंबलिंग और बेटिंग के अलावा गेम काॅइन्स, युसी गेम, स्किन गेम, रैंक तथा अन्य वर्चुअल सामान खरीदने में खर्च की गई थी. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि देश में जुआ और सट्टेबाजी का ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म न केवल युवाओं बल्कि नाबालिग बच्चों तक को अपनी गिरफ्त में ले चुका है, जो इनकी बर्बादी का मुख्य कारण बन रहा है.