India-Pakistan ceasefire Updates: चीन अप्रत्यक्ष रूप से भारत को तेजी से आर्थिक शक्ति बनने से रोकना चाहता है. ऐसे में अब भारत के द्वारा पाकिस्तान पर आर्थिक प्रतिबंधों की कड़ाई के साथ भारत के साथ शत्रुपूर्ण आचरण कर रहे चीन से वर्ष-प्रतिवर्ष तेजी से बढ़ते हुए आयातों को नियंत्रित करके चीन को भी आर्थिक सबक दिया जाना जरूरी है. हाल ही प्रकाशित नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक चीन के साथ द्विपक्षीय कारोबार में भारत लगातार घाटे की स्थिति में बना हुआ है. पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में चीन को भारत का निर्यात 14.5 प्रतिशत घटकर 14.25 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2023-24 में यह 16.66 अरब डॉलर था. इतना ही नहीं चिंताजनक यह भी है कि चीन से 2024-25 में आयात 11.52 प्रतिशत बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में यह 101.73 अरब डॉलर था.
निश्चित रूप से भारत को आर्थिक रूप से आगे बढ़ने से रोकने और भारत के साथ शुत्रपूर्ण व्यवहार कर रहे चीन से व्यापार घाटा कम करने के लिए सरकार के द्वारा और अधिक कारगर प्रयास करने होंगे. इसमें कोई दो मत नहीं है कि पिछले एक दशक से स्वदेशी उत्पादों को हरसंभव तरीके से प्रोत्साहित करके चीन से आयात घटाने के प्रयास हुए हैं.
वर्ष 2019 और 2020 में चीन से तनाव के कारण जैसे-जैसे चीन की भारत के प्रति आक्रामकता और विस्तारवादी नीति सामने आई, वैसे-वैसे स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर देश भर में बढ़ती हुई दिखाई दी. प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा बार-बार स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने और वोकल फॉर लोकल मुहिम के प्रसार ने स्थानीय उत्पादों की खरीदी को पहले की तुलना में अधिक समर्थन दिया है.
अब एक बार फिर से देश के करोड़ों लोगों को चीनी उत्पादों की जगह स्वदेशी उत्पादों के उपयोग के नए संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा. हम उम्मीद करें कि भारत के द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर प्रचंड प्रहार के दौरान पाकिस्तान के द्वारा जिस तरह चीन के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग हुआ है.
उसके मद्देनजर भारत के द्वारा अब पाकिस्तान को आर्थिक प्रतिबंधों से पस्त करते हुए चीन से भी हरसंभव तरीके से आयात नियंत्रण किए जाएंगे. निश्चित रूप से चीन के लिए भारत के व्यापक बाजार में आयातों में कमी एक आर्थिक प्रहार के रूप में दिखाई देगी और इससे भारत के स्वदेशी उद्योग तथा एमएसएमई लाभान्वित होते हुए भी दिखाई देंगे.