इस समय भारत एक के बाद एक प्रभावी मुक्त व्यापार समझौतों की डगर पर तेजी से आगे बढ़ा जा रहा है. हाल ही में 22 दिसंबर को भारत और न्यूजीलैंड ने नौ महीने की लगातार बातचीत के बाद एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने इसकी घोषणा की. प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर कहा कि भारत-न्यूजीलैंड की साझेदारी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाली है और इस एफटीए से अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने में मदद मिलेगी.
उल्लेखनीय है कि 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की मौजूदगी में मस्कट में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के उनके समकक्ष कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं. इस एफटीए को आधिकारिक तौर पर समग्र आर्थिक भागीदारी समझौता (सीपा) कहा गया है.
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि भारत-ओमान एफटीए के तहत भारत के 98 प्रतिशत निर्यात को ओमान के बाजार में शून्य पर पहुंच मिलेगी. इसमें ओमान को होने वाले 99 प्रतिशत से अधिक निर्यात शामिल हैं. यह बात महत्वपूर्ण है कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ऑस्ट्रेलिया के साथ किए गए एफटीए की प्रगति से संबंधित जो नए आंकड़े प्रकाशित हुए हैं,
उनके मुताबिक जहां इन देशों के साथ व्यापार तेजी से बढ़ा है, वहीं इन देशों में निर्यात भी बढ़ रहे हैं. और इन देशों से भारत में अधिक निवेश प्राप्त हो रहा है. एक अक्तूबर से भारत और चार यूरोपीय देशों आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के बीच एफटीए लागू हो गया है और एफ्टा देशों को निर्यात बढ़ने लगे हैं.
इसी तरह भारत और ब्रिटेन के बीच किया गया एफटीए भी महत्वपूर्ण है. पिछले दिनों ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत और ब्रिटेन (यूके) के बीच एफटीए के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण रणनीतिक विचार-मंथन किया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए से मिलने वाले अवसर बेजोड़ होंगे.
इतना ही नहीं, नए वर्ष 2026 में अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, पेरू, चिली, आसियान, मैक्सिको, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, इजराइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल सहित अन्य प्रमुख देशों के साथ भी एफटीए आकार लेते हुए दिखाई देंगे. यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 5 दिसंबर को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई 23वीं भारत-रूस शिखर बैठक में भारत के 2030 तक द्विपक्षीय कारोबार को 64 से बढ़ाकर 100 अरब डाॅलर किया जाना सुनिश्चित करते हुए भारत-रूस एफटीए के लिए वार्ता तेजी से आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.
इन सभी देशों के साथ एफटीए में सिर्फ उत्पाद निर्यात ही शामिल नहीं होंगे, वरन् सेवा सेक्टर परिदृश्य पर निर्यात भी शामिल होंगे. चूंकि सेवा निर्यात से भारत की विशेषज्ञता बढ़ती जा रही है, अतएव जहां भारत के प्रशिक्षित श्रमिकों व पेशेवरों के लिए एफटीए देशों में काम के मौके बढ़ेंगे, वहीं भारत की सेवा निर्यात से कमाई की ऊंची संभावनाएं बढ़ेंगी.
उम्मीद करें कि नए वर्ष 2026 में भारत दुनिया के प्रमुख देशों के साथ एफटीए को तेजी से आकार देने की डगर पर आगे बढ़ेगा. उम्मीद करें कि भारत के एफटीए निर्यात, सेवा, निवेश, तकनीकी सहयोग और पेशेवरों की आवाजाही की नई आर्थिक शक्ति बनाते हुए भारत को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और वर्ष 2047 तक विकसित देश बनाने की डगर पर आगे बढ़ाएंगे.