नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र की पनबिजली कंपनी एसजेवीएन कोरोबार को विविध रूप देने की योजना के तहत नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देने के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग क्षेत्र में भी कदम रखने की योजना बना रही है। हालांकि कंपनी का कहना है कि उसके लिये मुख्य कारोबार जलविद्युत बना रहेगा।
भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार की संयुक्त उद्यम कंपनी की एनसीएलटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण) में आने वाली या कर्ज में फंसी आर्थिक रूप से व्यवहारिक कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं के अधिग्रहण पर भी नजर है। एसजेवीएन लि. के निदेशक (वित्त) अखिलेश्वर सिंह ने कहा, ‘‘हम पनबिजली के साथ नवीकरणीय ऊर्जा खासकर सौर ऊर्जा उत्पादन में कदम बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा हम इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग स्टेशन के लिये भी योजना बना रहे हैं। हमारी बिजली एक्सचेंज में भी जाने की योजना है। लेकिन इन सबमें हमारा मुख्य कारोबार जलविद्युत ही रहेगा।’’
कंपनी की मौजूदा उत्पादन क्षमता 2016 मेगावाट है। इसमें पनबिजली क्षमता 1,912 मेगावाट जबकि पवन और सौर ऊर्जा उत्पादन की उत्पादन क्षमता क्रमश: 97.6 मेगावाट और 5.6 मेगावाट है। सौर परियोजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए सिंह ने कहा, ‘‘कंपनी ने 2025 तक 5,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा (मुख्य रूप से सौर) की हिस्सेदारी 1,500 से 2,000 मेगावाट होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हाल में हमने गुजरात में नीलामी के जरिये 100 मेगावाट की सौर परियोजना हासिल की है। इसके 2023 तक इसके चालू होने का लक्ष्य है। इसके अलावा हमारी हिमाचल प्रदेश के काजा में 2025 तक लगभग 1,000 मेगावाट क्षमता का अति वृहत नवीकरणीय ऊर्जा विद्युत पार्क स्थापित करने की योजना है।’’ उल्लेखनीय है कि एसजेवीएन ने पिछले महीने गुजरात के धोलेरा सौर पार्क में प्रतिस्पर्धी बोली में 100 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजना हासिल की। गुजरात ऊर्जा निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से इस परियोजना का विकास कर रहा है।
सिंह ने कह, ‘‘हम राजस्थान में भी सौर परियोजना लगाने को लेकर जमीन लेने की कोशिश कर रहे हैं। सेकी (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने 1070 मेगावाट के लिये बोली आमंत्रित की है। हमारा इसमें 250 मेगावाट क्षमता हासिल करने का लक्ष्य है। अगर हम बोली जीतते हैं तो पार्क का विकास हम स्वयं करेंगे।’’ बोली लगाने की अंतिम तिथि 21 सितंबर है। ईवी चार्जिंग स्टेशन और बिजली एक्सचेंज में कदम रखने की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि ये अभी विचाराधीन है।
कोयला आधारित परियोजना से जुड़े सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं का समय-समय धीरे खत्म हो रहा है। लेकिन आर्थिक रूप से व्यवहारिक कोयला आधारित बिजली परियोजनाएं अगर आती हैं, हम उसमें जा सकते हैं। एनसीएलटी में आने वाली या कर्ज में फंसी व्यवहारिक कोयला आधारित बिजली परियोजाओं को हम लेने पर विचार कर सकते हैं।’’
उल्लेखनीय है कि कंपनी फिलहाल बिहार के बक्सर में कुल 1,320 मेगावाट (660-660 मेगावाट की दो इकाइयां) क्षमता की कोयला आधारित अत्याधुनिक बिजली परियोजना अपनी पूर्ण अनुषंगी एसजेवीएन थर्मल प्राइवेट लि. के जरिये लगा रही है। कंपनी ने ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) का ठेका एल एंड टी को दिया है। एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘फिलहाल करीब 7,500 मेगावाट की पनबिजली परियोजनाएं विकास के विभिन्न चरणों में हैं। इसमें से 2,880 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं निर्माणधीन हैं। हम अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम सरकार के साथ वहां पनबिजली परियोजनाएं लगाने के लिये बातचीत कर रहे हैं। अरूणाचल प्रदेश में 15,000 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं लगाने की योजना है।’’
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 210 मेगावाट क्षमता की लूहरी (चरण 1) और 66 मेगावाट क्षमता की धौलासिद्ध जलविद्युत परियोजनाओं के लिये इसी महीने निवेश मंजूरी मिलने और आधारशिला रखे जाने की उम्मीद है। इन दोनों परियोजनाओं पर दो-तीन महीने में काम शुरू होने की संभावना है।