कार या बाइक की सर्विस कराते समय आपने देखा होगा कि इसका इंजन ऑयल जरूर बदला जाता है। दरअसल इंजन ऑयल की एक सीमा होती है। जब तक यह सही होता है तो इंजन की परफॉरमेंस और लाइफ भी बढ़िया रहती है। कुछ दिन बाद इस्तेमाल होते-होते इसका चिपचिपापन और कलर दोनों बदल जाते हैं। क्योंकि जब इंजन ऑयल को गाड़ी में डाला जाता है तो इसका रंग अलग तरह का होता है लेकिन जब इस्तेमाल होने के बाद इसको निकाला जाता है तो यह पूरी तरह से काले रंग का होता है।
अच्छे इंजन ऑयल की पहचानअच्छी क्वलिटी का इंजन ऑयल कार या बाइक के इंजन सील और गैसकेट्स को ठीक रखता है और जल्दी लीक नहीं होता। बाजार में मिनरल ऑयल, सेमी-सिंथेटिक ऑयल और फुली सिंथेटिक ऑयल शामिल हैं। ये तीनों ही तरह के इंजन ऑयल अलग-अलग गाड़ी के हिसाब से इस्तेमाल होते हैं। आपके लिए कौन सा इंजन ऑयल बेस्ट रहेगा इसके लिए सबसे बेहतर जानकारी आप अपने कार या बाइक डीलरशिप से ले सकते हैं। थोड़ा सा मेहनत करेंगे तो गाड़ी के साथ मिलने वाली बुकलेट में इंजन ऑयल से जुड़ी जानकारी मिल जाएगी। मिनरल इंजन ऑयलमिनरल इंजन ऑयल सामान्य टेंप्रेचर में काम करने में सक्षम होते हैं। बाजार में आने वाली ज्यादातर कारों और बाइक्स में मिनरल इंजन ऑयल का इस्तेमाल होता है। ये इंजन ऑयल काफी सस्ते होते हैं साथ ही गाड़ी के चलने से पैदा फि्क्शन की गर्मी से सुरक्षा के लिए पर्याप्त लुब्रिकेशन और प्रोटेक्शन भी देते हैं। लेकिन यदि टेंप्रेचर ज्यादा ठंडा या ज्यादा गर्म हुआ तो हो ये इंजन ऑयल ढंग से काम नहीं करते। सेमी-सिंथेटिक या फुली सिंथेटिक इंजन ऑयल के मुकाबले ये सस्ता होता है। सेमी-सिंथेटिक ऑयलसेमी-सिंथेटिक इंजन ऑयल की थोड़ी मात्रा मिनरल ऑयल में मिलाई जाती है। यह ऑयल कम तापमान में भी बेहतरीन चिपचिपाहट देता है, वहीं ज्यादा टेंप्रेचर में बेहतरीन काम करता है। फुली-सिंथेटिक ऑयलफुली-सिंथेटिक इंजन ऑयल्स को बेहतरीन लुब्रिकेशन माना जाता है। इसकी पररफॉरमेंस भी शानदार होती है। फुली सिंथेटिक इंजन ऑयल वाले वाहन माइलेज भी ज्यादा देते हैं। फुली सिंथेटिक ऑयल में खास अणु होते हैं, जो बेहतर लुब्रिकेशन देते हैं। यह ऑयल अधिकतम और न्यूनतम तापमान पर भी बेहतरीन कार्य करता है। हालांकि यह ऑयल थोड़ा महंगा होता है। मल्टीग्रेड इंजन ऑयल्सआजकल मल्टीग्रेड इंजन ऑयल काफी लोकप्रिय हैं। इस इंजन ऑयल को सभी तरह के मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है। इनका विस्कोसिटी (चिपचिपाहट) ग्रेड दो अंकों में होता है। उदाहरण के लिए 10W50, इसका मतलब है कि 10 डिग्री न्यूनतम तापमान और 50 डिग्री अधिकतम तापमान। इसकी तरह से इनके नंबर लिखे होते हैं। इनमें W का मतलब विंटर से होता है। अगर नंबर कम होता है, तो इसका फ्लो बेहतर होगा। 5W30 का फ्लो 20W40 से बेहतर होगा। मोनोग्रेड इंजन ऑयलमोनोग्रेड इंजन ऑयल का इस्तेमाल ज्यादातर पुराने वाहनों में होता है। इनमें भी दो प्रकार के इंजन ऑयल होते हैं। कम विस्कोसिटी और हाई विस्कोसिटी इंजन ऑयल। कम विस्कोसिटी इंजन ऑयल का ग्रेड 0 से 25 तक होता है जैसे 10W। हाई विस्कोसिटी ग्रेड में W नहीं होता है, और इन्हें गर्मियों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।