लता मंगेशकर प्रधानमंत्री मोदी को स्नेह के साथ नरेंद्र भाई कहती थीं. वे नियमित रूप से उन्हें राखी भेजती थीं और प्रधानमंत्री भी हमेशा फोन कॉल या पत्र के जरिए जवाब देते थे. ...
ऐसा भी महसूस होने लगा है कि ट्रेनों को समय पर चलाने की बुनियादी जरूरत की उपेक्षा हो रही है. इस वक्त आठ हजार किमी लंबी रेल पटरियों का रख-रखाव नहीं हो पा रहा क्योंकि रेलवे के पास पर्याप्त मानव संसाधन नहीं है. ...
भारत को जब हम विश्वगुरु कहते हैं या कहते हैं कि भारत ही दुनिया के झगड़ों को मध्यस्थता से सुलझाने की क्षमता रखता है, तो क्या इसके पीछे की गुरुता या जिम्मेदारी का पूरा-पूरा अहसास हमें होता है? ...
पाखंडी का शाब्दिक अर्थ होता है होना कुछ, और दिखाना कुछ. चुभता भले ही हो यह शब्द, लेकिन क्या हम ऐसा ही समाज नहीं बनाते जा रहे हैं? ‘एनिमल’ जैसी फिल्मों का बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड तोड़ना क्या इस बात का प्रमाण नहीं है कि ‘नायक’ की हमारी परिभाषा बदल रही है? व ...
शुक्रवार को गुजरात में ‘जल संचय जनभागीदारी पहल’ की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां जब हमारा आंकलन करेंगी तो पानी के प्रति हमारा रवैया, शायद उनका पहला मानदंड होगा। ...
एक जमाना था, जब ‘गुरुजी’ कहलाने वाले मास्टर साहब ऐसी सख्ती से पेश आते थे जिसकी कल्पना भी आज नहीं की जा सकती। लेकिन मजाल है कि किसी विद्यार्थी के मन में आत्महत्या का कभी ख्याल भी आया हो! फिर ऐसा क्यों है कि नजाकत में पली-बढ़ी आज की नई पीढ़ी जरा भी तन ...