1999 Kargil War: कारगिल पर सच कबूलने में पाकिस्तान को लग गए 25 साल
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 9, 2024 05:38 AM2024-09-09T05:38:19+5:302024-09-09T05:38:19+5:30
1999 Kargil War: पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध में अपनी सीधी भागीदारी को स्वीकार करने से बचती रही है.
1999 Kargil War: भारत के अनेक मंचों से स्पष्ट बोलने के बाद पाकिस्तानी सेना को कारगिल पर अपनी कायरता स्वीकार करने में पच्चीस साल लग गए. उसने आतंकवादियों को ढाल बनाकर भारत के खिलाफ युद्ध किया था, जिसमें उसे मुंह की खाकर भागने पर मजबूर होना पड़ा था. अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जो उसकी थू-थू हुई थी, वह अलग थी. पाकिस्तान ने बीते शुक्रवार को बड़ी बेशर्मी के साथ भारत के साथ युद्धों में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों को सम्मानित किया. इसमें उसके कारगिल युद्ध में मारे गए जवान भी शामिल थे.
BREAKING NEWS
— Bharat Spectrum (@BharatSpectrum) September 7, 2024
• For the first time, the Pakistani Army has acknowledged its involvement in the Kargil War.
• General Asim Munir, the current Chief of the Pakistan Army, has confirmed the Army's direct role in the conflict with India.
• This marks a significant departure… pic.twitter.com/StvovmdFjI
मजेदार बात यह है कि जब भारत ने युद्ध में मारे गए सैनिकों के शव पाकिस्तान को सौंपने का प्रस्ताव रखा तो उसने उन्हें अपना न मानते हुए ठुकरा दिया था. इसके बाद भारत ने उन सैनिकों का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया था. दरअसल पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध में अपनी सीधी भागीदारी को स्वीकार करने से बचती रही है.
BREAKING NEWS
— Bharat Spectrum (@BharatSpectrum) September 7, 2024
• After 25 years, the Pakistan Army has admitted it was directly involved in the Kargil War.
• This is the first time they've done so, as they previously said it was just "Mujahideen" fighters. Pakistan had also refused to accept the bodies of its officers who… https://t.co/BFNQIW8HAVpic.twitter.com/CDjZDvAW8L
हालांकि सेवानिवृत्त होने के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने जरूर कारगिल युद्ध को लेकर अपनी गलतियों को स्वीकार किया था. अब पाकिस्तान के रक्षा दिवस के अवसर पर सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अपने सैनिकों की बहादुरी का गुणगान कर सन् 1948, 1965, 1971 हो या 1999 के कारगिल युद्ध में हजारों सैनिकों के देश और इस्लाम के लिए अपने प्राणों की आहुति देने की प्रशंसा की. पिछले 25 साल में यह पहला मौका था जब पाकिस्तानी सेना ने सार्वजनिक रूप से कारगिल युद्ध में अपना कबूलनामा दिया.
First time ever #PakistaniArmy accepts involvement in #KargilWar. Pakistan Army Chief General #AsimMunir confirms Pakistan Army's involvement in #KargilWar. Pakistan Army Chief General Asim Munir in a defence day speech on Friday said, "1948, 1965, 1971 or Kargil war between… pic.twitter.com/Um83MwSrwM
— Upendrra Rai (@UpendrraRai) September 7, 2024
इससे पहले पाकिस्तानी सेना के किसी भी जनरल ने पद पर रहते हुए कारगिल युद्ध पर स्पष्टीकरण नहीं दिया. यद्यपि यह बयान पाकिस्तान के लंबे समय से दिए जा रहे आधिकारिक बयानों से भी मेल नहीं खाता है, जिनमें उसने कारगिल युद्ध में कश्मीरी उग्रवादी शामिल होने का दावा किया था. मगर सच्चाई यह थी कि पाकिस्तानी सेना ने ठंड के बाद कारगिल पर धोखे से भारत की चौकियों पर कब्जा कर लिया था, जिसके बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन चला कर पाकिस्तान को अपमानजनक हार के साथ मार भगाया था.
अब पच्चीस साल बाद ही सही, मगर ताजा घटनाक्रम यह साबित करता है कि आतंकवादियों और पाकिस्तानी सेना की कहीं न कहीं मिलीभगत है, जो छद्म युद्ध को अंजाम देते हैं. बार-बार भारत की सेना घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को मार गिराती है, लेकिन उनके पास मिलने वाले हथियार और अन्य सामग्री साबित करती है कि उन्हें पाकिस्तान सेना ने प्रशिक्षित कर भेजा है.
इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पाकिस्तान भारत के सीमावर्ती क्षेत्र, विशेष रूप से कश्मीर में अस्थिरता पैदा करने के लिए आतंकवादी तैयार करता है, मगर वह यह मानता नहीं है. किंतु अनेक प्रमाणों के बाद उसे कारगिल की तरह ही इसे भी स्वीकार कर लेना चाहिए और शांति के रास्ते से अपनी समस्याओं का हल ढूंढ़ना चाहिए. वर्ना फिर कोई नया जनरल आएगा और कबूलनामा देकर चला जाएगा.