हिंदी भाषा हजार-बारह सौ वर्षो से भारत में प्रयुक्त हो रही है. इतिहास में आप जाएंगे तो पाएंगे कि इस भाषा के भिन्न-भिन्न रूपों को लेकर सृजन की एक लंबी परंपरा रही है. भारत का स्वतंत्नता संग्राम जिस ढंग से भारतीय समाज द्वारा लड़ा गया उस लड़ाई में हिंदी क ...
कर्म के स्तर पर उनका घोषित लक्ष्य सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति को नष्ट करना और काबिज सत्ता को हिलाना ही था. विपक्ष की अनेक पार्टियों का समर्थन भी यही बतलाता है और उनका संग्राम भी सत्ताधारी को पदच्युत करना है. सभी का इसी में विश्वास होता है कि अंतत: ...
ये हिंसा के ही विभिन्न रूप हैं जिनको अपनी बात को व्यक्त करने का माध्यम बनाया जा रहा है. अपने पक्ष को सही साबित करने के लिए हिंसा की युक्ति का लक्ष्य सरकारी पक्ष को त्रस्त और भयभीत करना है. ...
दिल्ली और अन्य कई अच्छे विश्वविद्यालयों के अध्यापक वहां ऊंचे वेतन, सुविधा और स्वायत्तता के आकर्षण में पहुंच रहे हैं. उच्च वर्ग के छात्र ऊंची फीस देकर वहां पढ़ाई कर रहे हैं. जबकि सरकारी विश्वविद्यालयों की स्थिति विकट से विकटतर होती जा रही है. ...
उपर्युक्त स्थिति के विपरीत शिक्षा का निजीकरण एक और ही दृश्य प्रस्तुत करता है. हालात बिगड़ते जा रहे हैं और अध्ययन-अध्यापन व शोध का स्तर लगातार गिरता जा रहा है ...
हिंदी साहित्य सम्मेलन इंदौर के मार्च 1918 के अधिवेशन में बोलते हुए गांधीजी ने दो टूक शब्दों में आह्वान किया था : ‘पहली माता (अंग्रेजी) से हमें जो दूध मिल रहा है, उसमें जहर और पानी मिला हुआ है, और दूसरी माता (मातृभाषा ) से शुद्ध दूध मिल सकता है. बिना ...