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वार्ता के लिए ‘अनुकूल माहौल’ बनाने की जिम्मेदारी भारत की: पाकिस्तानी विदेश मंत्री

By भाषा | Updated: August 4, 2021 19:38 IST

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(सज्जाद हुसैन)

इस्लामाबाद, चार अगस्त पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र को एक और चिट्ठी लिखकर जोर दिया है कि संपर्क और नतीजे-आधारित बातचीत के लिये “अनुकूल माहौल” बनाने की जिम्मेदारी भारत पर है और इसके लिये उसे जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 या उसके बाद उठाए गए कदमों को वापस लेना होगा।

भारत द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त करने के दो वर्ष पूरा होने के अवसर पर कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासचिव को लिखे पत्र में यह बातें कहीं।

भारतीय संसद ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित कर दिया था।

भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा रद्द किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने संबंध घटा दिए थे और व्यापार स्थगित कर दिया था।

भारत कहता रहा है कि संविधान के अनुच्छेद 370 से संबंधित मामला पूरी तरह से आंतरिक मामला है।

विदेश कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, विदेश मंत्री कुरैशी ने अपने पत्र में जोर देते हुए कहा कि “संपर्क और नतीजा केंद्रित वार्ता के लिये अनुकूल माहौल बनाने की जिम्मेदारी भारत पर है।”

विदेश कार्यालय ने कहा, “ऐसा माहौल बनाने के लिये भारत को निश्चित रूप से पांच अगस्त 2019 और उसके बाद जम्मू कश्मीर में उठाए गए एकपक्षीय व अवैध कदमों को वापस लेना चाहिए तथा जम्मू कश्मीर में शुरू किए गए जनसांख्यिकी बदलाव को रद्द करे।”

उसने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों और कश्मीरी लोगों की इच्छाओं के मुताबिक जम्मू कश्मीर मुद्दे का उचित समाधान दक्षिण एशिया में स्थायी शांति के लिये जरूरी है।

विदेश कार्यालय ने कहा कि विदेश मंत्री ने कश्मीर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए भारत द्वारा पांच अगस्त 2019 को उठाए गए कदमों और उसके बाद अपने पांव और मजबूती से जमाने के लिये वहां की गई कार्रवाई की तरफ ध्यान आकर्षित किया है।

बयान के मुताबिक, कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि वह कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार की गारंटी देने वाले प्रस्तावों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के अपने दायित्व को पूरा करे।

भारत कहता रहा है कि जम्मू कश्मीर उसका अभिन्न अंग “था, है और हमेशा रहेगा”।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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