साल 2050 तक पानी की कमी की समस्या से प्रभावित होंगे पांच अरब लोग, खाद्य एवं कृषि संगठन ने दी चेतावनी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: July 8, 2023 06:26 PM2023-07-08T18:26:10+5:302023-07-08T18:27:55+5:30
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार वैश्विक आबादी का लगभग 57 प्रतिशत हिस्सा 2050 तक हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी की कमी का सामना करेगा। यानी कि इससे दुनिया भर में पांच अरब लोग प्रभावित होंगे।
नई दिल्ली: धरती पर मौजूद सभी जीवित प्राणियों के लिए पानी सबसे जरूरी चीज है। लेकिन भूमिगत जल के लगातार हो रहे दोहन के कारण ऐसी स्थिति आने वाली है जहां दुनिया के पांच अरब यानी आधे से ज्यादा लोगों को पानी की कमी की समस्या का सामना करना पड़ेगा।
इस आने वाले संकट की तरफ ध्यान आकृष्ट करते हुए खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने दुनिया के सभी देशों से पानी की कमी के लिए तैयार रहने को कहा है। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार वैश्विक आबादी का लगभग 57 प्रतिशत हिस्सा 2050 तक हर साल कम से कम एक महीने के लिए पानी की कमी का सामना करेगा। यानी कि इससे दुनिया भर में पांच अरब लोग प्रभावित होंगे।
कृषि क्षेत्रों में रहने वाले तीन अरब लोग पहले से ही उच्च या बहुत उच्च स्तर की पानी की कमी का अनुभव कर रहे हैं। एफएओ ने अपने मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के 43वें सत्र के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला कि साल 2050 तक पानी की कमी की समस्या काफी गंभीर हो जाएगी।
खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने बीते 3 जुलाई, 2023 को अपनी पहली गोलमेज बैठक की मेजबानी की। इसका विषय 'जल की कमी: लोगों और ग्रह के लिए जल प्रवाह' बनाना था। इसके बाद उच्च स्तरीय गोलमेज बैठकों की एक श्रृंखला हुई, जिनमें से तीन पानी के विषय पर थीं।
एफएओ ने कहा कि जल संसाधनों पर तनाव और गहराने की संभावना है। मौजूदा सामाजिक असमानताएं बढ़ सकती हैं, जो विशेष रूप से छोटे पैमाने के किसानों, स्वदेशी समुदायों और महिलाओं जैसे कमजोर वर्गों को प्रभावित कर सकती हैं। इसमें कहा गया है कि ताजे पानी की खपत में कृषि का योगदान 70 प्रतिशत है।
जलवायु परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित देश नामीबिया का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिभागियों में से एक ने सरकारों से "अभी कार्रवाई करने" का आग्रह किया। गाम्बिया के प्रतिनिधि ने कहा कि यह मुद्दा काफी हद तक महिलाओं को प्रभावित करता है, क्योंकि वे देश के कृषि क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाती हैं। अर्जेंटीना के प्रतिनिधि ने बताया कि देशों के भीतर विभिन्न प्रकार के शासन के कारण वैश्विक समाधानों की कल्पना करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
बता दें कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में भी भूमिगत जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। भूमिगत जल के अतिदोहन से भारत के विभिन्न क्षेत्रों जैसे पंजाब, हरियाणा, दक्षिणी राजस्थान, उत्तरी गुजरात व तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में भूमिगत जल के स्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई है, जो भविष्य के लिये हानिकारक है। भूमिगत जलस्तर नीचे खिसकने से न सिर्फ जल की उपलब्धता में कमी आती है बल्कि इसकी कमी से भू-गर्भीय निर्वात भी हो सकता है, जो भू-सतह के फटने या धंसने के लिये जिम्मेदार है। इसके फलस्वरूप जान-माल का भी काफी मात्रा में नुकसान हो सकता है।