इस्लामाबादः पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को झटका लगा है। एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची बरकरार रहेगा। चीन और तुर्की ने कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके।
पाकिस्तान, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ‘ग्रे’ सूची में संभवत: बना रहेगा, क्योंकि वह एफएटीएफ की कार्य योजना के 27 लक्ष्यों में से छह का अनुपालन करने में असफल रहा है। प्रस्ताव को 38 सदस्यीय सदस्य के सामने रखा गया तो किसी ने भी प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी।
एफएटीएफ के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने कहा कि पाकिस्तान एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची में बना रहेगा। पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए कुल 27 कार्ययोजनाओं में से छह को पूरा करने में विफल रहा है। पाकिस्तान को आतंकवाद का वित्तपोषण रोकने के लिए और प्रयास करने की जरूरत है। पाकिस्तान को आतंक के वित्तपोषण में शामिल लोगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए और मुकदमा चलाना चाहिए।
यहां तक कि चीन, मलेशिया या सऊदी अरब ने भी इसको मंजूरी नहीं दी। अब एफएटीएफ ने अगले साल फरवरी की अगली समीक्षा तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन को रोकने एवं निगरानी करने वाली पेरिस से संचालित संस्था की 21 से 23 अक्टूबर के बीच डिजिटल माध्यम से वार्षिक बैठक हुई, जिसमें 27 बिंदुओं की कार्य योजना की समीक्षा की गई।
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी की वजह से इस मियाद में वृद्धि कर दी गई।
एफएटीएफ की ग्रे सूची से नहीं निकल पाया, लेकिन वह काली सूची में जाने से बच गया है। मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर चुका है और उसने निगरानीकर्ता को सूचित किया है कि कार्य योजना के 21 बिंदुओं को उसने लागू कर दिया है।
88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी
गौरतलब है कि कर्ज से दबे पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत अगस्त महीने में 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी। इनमें मुंबई हमले का सरगना और जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम भी शामिल है।
अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में है तो उसके लिए विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से वित्तीय मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत करीब 15 कानूनों में संशोधन को मंजूरी दी
पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत करीब 15 कानूनों में संशोधन को मंजूरी दी है। पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 सदस्यीय एफएटीएफ में से 12 सदस्यों का समर्थन हासिल करना था। वहीं, काली सूची में जाने से बचने के लिए तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत थी।
पाकिस्तान का चीन, तुर्की और मलेशिया लगातार समर्थन करते रहे हैं। एफएटीएफ की बैठक में अगर यह पाया जाता है कि पाकिस्तान लक्ष्यों को पूरा करने में असफल हुआ है तो पूरी संभावना है कि विश्व निकाय उसे उत्तर कोरिया और ईरान के साथ काली सूची में डाल दे। अगस्त महीने में प्रधानमंत्री इमरान खान ने चेतावनी दी थी कि अगर एफएटीएफ देश को काली सूची में डालता है तो पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था महंगाई और पाकिस्तानी मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से बर्बाद हो जाएगी।
(इनपुट एजेंसी)