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स्वरों से भरी भाषा सीखने में डेनमार्क के बच्चों को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है

By भाषा | Updated: June 30, 2021 12:44 IST

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मोर्टन एच. क्रिस्टियनसेन, द विलियम आर. केनन, जूनियर, मनोविज्ञान के प्रोफेसर, कॉर्नेल विश्वविद्यालय और फैबियो ट्रेक्का भाषा के संज्ञानात्मक विज्ञान के सहायक प्रोफेसर, आरहूस विश्वविद्यालय

न्यूयार्क, 30 जून (द कन्वरसेशन) डेनमार्क एक वृहद् जनकल्याणकारी व्यवस्था और मजबूत शिक्षा प्रणाली वाला समृद्ध देश है। फिर भी आश्चर्यजनक रूप से, डेनिश बच्चों को अपनी मातृभाषा सीखने में परेशानी होती है।

नॉर्वेजियन बच्चे, जो लगभग समान भाषा सीखते हैं, की तुलना में, डेनिश बच्चे औसतन 15 महीनों में 30% कम शब्द जानते हैं और भूतकाल (पास्ट टेंस) को सीखने में लगभग दो साल अधिक समय लेते हैं। "हेमलेट" में, विलियम शेक्सपियर की एक प्रसिद्ध पंक्ति है कि "डेनमार्क में कुछ सड़ा हुआ है," लगता है कि वह डेनिश भाषा के बारे में भी बात कर रहे होंगे।

हम आरहूस विश्वविद्यालय और कॉर्नेल में पजल ऑफ डेनिश समूह से एक संज्ञानात्मक वैज्ञानिक और भाषा वैज्ञानिक हैं। हमारे शोध के माध्यम से, हमने पाया है कि डेन के बोलने का विशिष्ट अजीब तरीका डेनिश बच्चों के लिए अपनी मूल भाषा सीखना मुश्किल बनाता है - और यह भाषा विज्ञान के कुछ मूल सिद्धांतों को भी चुनौती देता है।

डेनिश भाषा के इतने जटिल होने के तीन मुख्य कारण हैं। सबसे पहले, इसमें लगभग 40 विभिन्न स्वर ध्वनियां हैं, जबकि इसके मुकाबले अंग्रेजी में 13 से 15 स्वर ध्वनियां हैं। डेनिश भाषा में दुनिया की सबसे बड़ी स्वर सूची है। इसके अलावा, जब वे बोलते हैं तो डेन अक्सर व्यंजन को स्वर जैसी ध्वनियों में बदल देते हैं। और अंत में, वह शब्दों के आखरी सिरों को "निगल’’ लेते हैं अर्थात उन्हें बोलते नहीं हैं। सामान्य बोलचाल में ही नहीं बल्कि लिखित पाठ से जोर से पढ़ते समय भी वह ऐसा करते हैं।

अन्य भाषाओं में भी इनमें से कोई एक कारक शामिल हो सकता है, लेकिन डेनिश में इन तीनों का संयोजन इसे मुश्किल बनाता है। नतीजा यह है कि डेनिश कुछ व्यंजनों और ध्वनि क्रम की बहुतायत के साथ अपनी बात समाप्त करता है।

हम जानते हैं कि श्रोताओं को व्यंजन से यह पता लगाने में मदद मिलती है कि शब्द कहाँ से शुरू और समाप्त होते हैं, लेकिन डेनिश भाषा में स्वर जैसी ध्वनियों की प्रधानता होने के कारण इसे समझना और सीखना मुश्किल हो जाता है। यह स्पष्ट नहीं है कि डेनिश में इन अजीब विचित्रताओं का समावेश कैसे हुआ। जर्मन लेखक कर्ट तुचोल्स्की डेनिश भाषा पर चुटकी लेते हुए कहते हैं, "डेनिश भाषा बोलने के लिए उपयुक्त नहीं है ... सब कुछ एक शब्द की तरह लगता है।"

इससे पहले कि हम डेनिश बच्चों के अपनी मूल भाषा सीखने के तरीके का अध्ययन कर सकें, हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि क्या डेनिश भाषा बोलने की ख़ासियत ने इसे समझने की उनकी क्षमता को प्रभावित किया है।

ऐसा करने के लिए, हमारी टीम ने डेनमार्क के दो साल के बच्चों को एक स्क्रीन के सामने बिठाया, जिसमें दो वस्तुएं दिखाई दे रही थीं, जैसे कि एक कार और एक बंदर। इसके बाद हमने एक आई ट्रैकर का इस्तेमाल किया ताकि पता लगाया जा सके कि डेनिश वाक्य सुनते समय बच्चे कहां देख रहे थे।

जब बच्चों ने व्यंजन-समृद्ध शब्द "फिन बीलेन!" सुना, जिसका अर्थ है "कार ढूंढो!" - तो बच्चे फौरन कार की तरफ देखने लगे।

हालाँकि, जब उन्होंने स्वर-समृद्ध "हर एर अबेन!" सुना जिसका अर्थ है "यहाँ बंदर है!" तो बच्चों को बंदर को देखने में करीब आधा सेकेंड का समय लगा। स्वर से भरे इस वाक्य में, शब्दों के बीच की सीमाएँ धुंधली हो जाती हैं और बच्चों के लिए यह समझना कठिन हो जाता है कि क्या कहा जा रहा है। आधा सेकंड भले ही ज्यादा न लगे, लेकिन वाणी की दुनिया में यह बहुत लंबा समय है।

लेकिन क्या डेनिश में स्वरों की प्रचुरता बच्चों के लिए अपनी मूल भाषा सीखना अधिक कठिन बना देती है? दरअसल ऐसा होता है। एक अन्य अध्ययन में, हमने पाया कि जब कुछ शब्दों को स्वरों के बीच में रखा जाता है तो बच्चे नए शब्दों को सीखने के लिए संघर्ष करते हैं।

डेनिश बच्चे बेशक अपनी मातृभाषा सीखते हैं। हालांकि, हमारे समूह ने पाया है कि जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तब भी डेनिश भाषा की अस्पष्ट ध्वनि संरचना के प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाते हैं: इसकी बजाय, वह अपने बड़ों की भाषा को बेहतर ढंग से समझने के तरीके निकाल लेते हैं।

डेनमार्क और नॉर्वे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से निकट से संबंधित हैं। दोनों भाषाओं में समान व्याकरण, भूतकाल प्रणाली और शब्दावली भी हैं। लेकिन डेन के विपरीत, नॉर्वेजियन बोलते समय अपने व्यंजन का उच्चारण करते हैं।

भाषा विज्ञान में इस बात को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है कि क्या सभी भाषाएँ समान रूप से जटिल हैं और क्या इससे लोगों का दिमाग भाषा सीखने के दौरान प्रभावित होता है।

डेनिश के बारे में हमारी खोज इस विचार को चुनौती देती है कि सभी मूल भाषाओं को सीखना और उपयोग करना समान रूप से आसान है। वास्तव में, जन्म से विभिन्न भाषाओं को सीखने से उन भाषाओं को संसाधित करने के अलग और भिन्न तरीके हो सकते हैं।

हमारे शोध से पता चलता है कि भाषाई विविधता के परिणामस्वरूप हमारे सीखने और भाषा को संसाधित करने के तरीके में भिन्नता हो सकती है। और अगर डेनिश जैसी भाषा में इतनी छिपी हुई गहराई है, तो कौन जाने कि जब हम दुनिया की बाकी लगभग 7,000 भाषाओं को और करीब से देखेंगे तो हमें क्या मिलेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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