बलूचिस्तान में पाकिस्तान का जुल्मः अगस्त में पाक सेना के हाथों 18 लोगों की मौत, 28 लापता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 25, 2019 12:57 PM2019-09-25T12:57:57+5:302019-09-25T12:57:57+5:30
। वरिष्ठ बलूच कार्यकर्ता करीमा बलूच ने मार्च महीने में ही इस मंच से इस बात को उजागर किया था कि पाकिस्तान की सेना कई दशकों से बलूच प्रांत में स्थानीय लोगों का कत्लेआम करती आ रही है।
बलूचिस्तान में मानवाधिकार का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। अगस्त महीने में बलूचिस्तान के पांच जिलों से 28 लोगों को बलपूर्वक गायब कर दिया गया है। इसी दौरान 18 लोगों को मार गिराया गया है। 21वीं सदी के शुरुआत से ही पाकिस्तान ने अपने दक्षिण-पश्चिम प्रोविंस को वार जोन बना रखा है। पाकिस्तान सैन्य बल के दम पर पर यहां के राष्ट्रवादी आंदोलन को दबाना चाहता है। ह्यूमन राइट्स काउंसिल ऑफ बलूचिस्तान ने इसकी जानकारी दी।
1 अगस्त को बलूचिस्तान के केच जिले से तुरबत और पंजगुर इलाके में सुरक्षा बलों ने छापेमारी की और 6 छात्रों को उठा ले गए। इन छात्रों के नाम हैं पिरल बशीर अहमद, साजिद दिनार, शेर जन यूसुफ, अलीमुद्दीन मुस्तफा, अब्दुल करीम शमीम और नसरुल्लाह शबीर।
5 अगस्त को सुरभा बलों ने मलिकाबाद से अली हकीम को उठा लिया। 6 अगस्त को उजैर अपने बेटे के साथ बलपूर्वक गायब कर दिया गया। 8 अगस्त को ग्वादर इलाके से अली अब्दुल रहीम को उठा लिया गया। इसी तरह अगस्त महीने में अलग-अलग इलाकों से 28 लोगों को बलपूर्वक गायब कर दिया गया।
विश्व बलूच संस्थान ने न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के खिलाफ कैंपेन शुरू किया है। प्रदर्शनकारी संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगा रहे हैं कि बलूचिस्तान में लापता लोगों को वापस लाया जाए। वरिष्ठ बलूच कार्यकर्ता करीमा बलूच ने मार्च महीने में ही इस मंच से इस बात को उजागर किया था कि पाकिस्तान की सेना कई दशकों से बलूच प्रांत में स्थानीय लोगों का कत्लेआम करती आ रही है।
उन्होंने कहा था, "बलूच लोगों के मानवाधिकारों के हो रहे उल्लंघन को रोका जाना चाहिए और अपराधियों को न्याय का सामना करवाना चाहिए।"