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Coronavirus: जानें कोरोना वायरस से जुड़े ऐसे कई तथ्य जो अब भी बने हुए हैं रहस्य

By भाषा | Updated: April 8, 2020 16:11 IST

कोरोना वायरस को लेकर रिसर्च में कई तरह की बातें सामने आती है, उसमें एक यह भी है कि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार यह वायरस हवा में भी रह सकता है।

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ठळक मुद्देअमेरिका में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक हालिया अध्ययन में आगाह किया गया कि केवल मौसम में बदलाव से कोविड-19 के मामले कम नहीं होंगे।चीनी अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 से संक्रमित 10 में कोई बच्चा बहुत अधिक बीमार नहीं पड़ा।

पेरिस: चीन में तीन महीने पहले शुरू हुए कोरोना वायरस के बारे में डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के गहन अध्ययन के बावजूद इस संक्रामक रोग के बारे में कई राज अब भी खुले नहीं हैं। सबसे बड़ा रहस्य तो यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यह विषाणु करीब 80 प्रतिशत लोगों में कुछ या कोई लक्षण नहीं दिखाता जबकि अन्यों में यह जानलेवा न्यूमोनिया तक साबित हो सकता है। चीन में जब यह महामारी चरम पर थी तो हांगकांग विश्वविद्यालय और स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर लियो पून तथा नांचांग विश्वविद्यालय की एक टीम ने बीमारी के हल्के और गंभीर लक्षणों वाले मरीजों की तुलना की।

ब्रिटिश पत्रिका ‘द लांसेट’ में प्रकाशित उनके अध्ययन में पाया गया कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित लोग बुजुर्ग थे और उनमें नाक तथा गले में विषाणु का जमाव इससे हल्के रूप से प्रभावित लोगों के मुकाबले 60 प्रतिशत अधिक था। सवाल अब भी बरकरार है कि क्या उम्र के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होने के कारण वे इसके ज्यादा चपेट में आए या वे विषाणु के अधिक संपर्क में आए। खसरे के विषाणु पर अनुसंधान से पता चलता है कि बीमारी की गंभीरता उसके संपर्क में आने से संबंधित होती है।

बहरहाल, विशेषज्ञों को अभी मालूम नहीं है कि क्या कोविड-19 के मामले में भी ऐसा ही है। कोरोना वायरस को शारीरिक संपर्क में आने या किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से गिरने वाले कणों के जरिए फैलने वाली बीमारी के तौर पर जाना जाता है। लेकिन न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अमेरिकी अध्ययन के अनुसार यह हवा में भी रह सकता है।

बहरहाल, वैज्ञानिकों को यह नहीं पता कि क्या उस स्तर पर भी यह बीमारी फैल सकती है। इस सवाल पर कि क्या कोविड-19 उत्तरी गोलार्ध में गर्मी आने से रुक सकता है, इस पर विशेषज्ञों ने कहा कि यह संभव है लेकिन इस बारे में पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है। फ्लू जैसे श्वसन संबंधी विषाणु ठंडे और शुष्क मौसम में अधिक स्थिर होते हैं इसलिए वे सर्दियों में अधिक तेजी से फैलते हैं। हांगकांग के शोधकर्ताओं ने पाया कि एशिया में 2002-03 का सार्स विषाणु उस समय अधिक फैला जब नमी और तापमान कम था। यह विषाणु कोरोना वायरस से निकटता से जुड़ा है।

अमेरिका में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक हालिया अध्ययन में आगाह किया गया कि केवल मौसम में बदलाव से कोविड-19 के मामले कम नहीं होंगे जब तक कि बड़े पैमाने पर जन स्वास्थ्य संबंधी उपाय न किए जाए। एक सवाल यह भी है कि क्या किशोरों के मुकाबले बच्चों को कोविड-19 से कम खतरा है।

एक चीनी अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 से संक्रमित 10 में कोई बच्चा बहुत अधिक बीमार नहीं पड़ा। उन्हें गले में सूजन, खांसी और हल्के बुखार के ही लक्षण थे। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि विषाणु से संक्रमित लोगों के साथ रह रहे बच्चों में किशोरों के मुकाबले इसकी चपेट में आने की आशंका दो से तीन गुना कम रहती है। 2002-03 में सार्स विषाणु के मामले में ही यह सच हुआ था।  

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