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कोरोना वायरस कई बार जानवरों से मनुष्यों में फैला: नये प्रारंभिक सबूत से मिला संकेत

By भाषा | Updated: September 25, 2021 18:10 IST

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हामिश मैक्कलम, निदेशक, सेंटर फॉर प्लैनेटरी हेल्थ एंड फूड सिक्युरिटी, ग्रिफिथ विश्वविद्यालय

ब्रिस्बेन, 25 सितंबर (द कन्वरसेशन) कोविड-19 महामारी का कारण बने सार्स-सीओवी-2 वायरस की उत्पत्ति पर काफी बहस हुई है।

इस बहस के चलते आस्ट्रेलिया-चीन संबंधों में काफी मुश्किलें उत्पन्न हुई। वहीं आस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मारिसे पायने के एक और जांच के आह्वान को चीन एक शत्रुतापूर्ण कृत्य मान रहा है।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस वायरस की प्रजाति से जुड़े अन्य वायरस चमगादड़़ों में पाये गए हैं। यह वायरस इंसानों में कैसे, कहां और कब फैला, यह विवादास्पद मुद्दा है।

एक व्यापक रूप से समर्थित परिकल्पना यह है कि यह वायरस वुहान के ‘‘वेट मार्केट’’ से फैला है, जहां पूरे चीन से लाये गए वन्यजीवों की कई प्रजातियों को रखकर उनकी बिक्री की जाती है।

हालांकि, इसका कोई सबूत नहीं है कि ऐसी प्रजाति के चमगादड़ महामारी से पहले के दो वर्षों में किसी समय वुहान के ‘वेट मार्केट’ से बेचे गए थे जिनमें सार्स-सीओवी-2 वायरस प्रजाति के वायरस पाए जाते हैं।

इस परिकल्पना के लिए एक ‘‘ब्रिज होस्ट’’ की जरूरत होगी, यानी एक अन्य प्रजाति जो मूल चमगादड़ ‘होस्ट’ से वायरस से संक्रमित हो और फिर उस वायरस को मनुष्यों तक पहुंचाये। ‘ब्रिज होस्ट’ मनुष्यों में कई बीमारियों के लिए जाना जाता है। उदाहरण के लिए, हेंड्रा वायरस, जिस पर मेरा समूह अध्ययन करता है। हेंड्रा वायरस मूल रूप से फ्लाइंग फॉक्स (चमगादड़ की एक प्रजाति) में पाया जाता है।

हेंड्रा वायरस घोड़ों में फैलता है। घोड़े तब वायरस को एक ‘ब्रिज होस्ट’ के रूप में बढ़ाते हैं और मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं। सौभाग्य से, यह अत्यंत दुर्लभ है, ऐसे केवल सात ज्ञात मामले सामने आये हैं। दुखद बात यह है कि इनमें से चार व्यक्तियों की मौत हो गई। हेंड्रा कभी भी फ्लाइंग फॉक्स (चमगादड़ की एक प्रजाति) से मनुष्यों में फैलने की बात सामने नहीं आयी है।

दूसरी, बहुत अधिक विवादास्पद परिकल्पना यह है कि यह वायरस ‘‘प्रयोगशाला’’ से गलती से फैला। वुहान में चीन की सबसे परिष्कृत वायरोलॉजिकल प्रयोगशालाओं में से एक है और यह प्रयोगशाला चमगादड़ वायरस पर काम करती है। आशंका यह है कि वायरस अनजाने में किसी कर्मी के जरिये लोगों में फैल गया। कोई प्रत्यक्ष प्रमाण इस परिकल्पना का समर्थन नहीं करता है।

इस महीने ऑनलाइन जारी एक नया प्री-प्रिंट अध्ययन, "प्राकृतिक प्रसार" परिकल्पना का समर्थन करने के लिए मजबूत सबूत प्रदान करता है।

शोधकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 के लिए सभी पूर्ण आनुवंशिक अनुक्रम डाउनलोड किए जो व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले जीनोमिक डेटाबेस में दर्ज किए गए थे। इन अनुक्रमों में से 369 वंश ‘ए’ वंश से थे, 1,297 वंश ‘बी’ वंश से थे और केवल 38 मध्यवर्ती थे। आनुवंशिक सबूत इसका इशारा करते है कि मानव आबादी में कम से कम दो अलग-अलग संक्रमण फैला है। एक वंश ‘ए’ से है और दूसरा वंश ‘बी’ से।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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