अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा तथा अन्य विदेश कार्य वीजा पर अस्थाई रोक लगा दी है, जिसके बाद सर्च इंजन गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने निराशा व्यक्त की। सुंदर पिचाई ने कहा कि वह आव्रजकों के साथ हैं और सभी के लिए अवसर पैदा करने के लिए काम करेंगे।
सुंदर पिचाई ने ट्वीट किया, "आव्रजन ने अमेरिका की आर्थिक सफलता में बहुम योगदान दिया है और प्रौद्योगिकी में उसे वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाया है, साथ ही गूगल को ऐसी कंपनी बनाया है जो वह आज है। आज की घोषणा से निराश हूं - हम आव्रजकों के साथ हैं और सभी के लिए अवसर पैदा करने के लिए काम करते रहेंगे।"
सुंदर पिचाई के इस ट्वीट का कई लोगों ने समर्थन किया और भेदभाव के मुद्दे को उठाया। इस बीच कई लोगों ने कहा कि भारत को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए, ताकि भारत के लोग भारत में रहकर देश के लिए काम कर सकें।
कौशल झा नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "सर, हमें एक भारतीय के रूप में इस फैसले का स्वागत करना चाहिए। क्योंकि भारत अगले सुंदर पिचाई को खोने का जोखिम नहीं उठाएगा, जो दूसरों के लिए काम करे।"
तेजश्री नाम की यूजर ने लिखा, "आपने जो हासिल किया है उस पर हमें गर्व है और आप पर गर्व है! यकीन है कि आप हमारे साथ सहमत हैं कि ऐसे और भी लोग हैं जो ग्रीन कार्ड बैकलॉग में आपकी तरह बढ़ सकते हैं। आपसे अनुरोध है कि आप मदद के लिए हाथ बटाएं और उन्हें वह टूलसेट दें, जिसे आपको विकसित किया है।"
मदन कुमार नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा, "मेरे प्यारे उच्च कुशल भारतीयों, कृपया इंडिया वापस आएं। चलिए फिर से भारत को महान बनाते हैं।"
एलिस जी वेल्स ने भी किया विरोध
ट्रंप प्रशासन में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए प्रमुख राजनयिक रहीं एलिस जी वेल्स ने भी इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा, 'एच1-बी वीजा कार्यक्रम के जरिए सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट को आकर्षित करने की क्षमता ने अमेरिका को अधिक सफल और लचीला बनाया है। विदेशी प्रतिभाओं को बांधने की कला जानना अमेरिका की ताकत है कमजोरी नहीं।'
इस साल के अंत तक H1-B वीजा को सस्पेंड
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल के अंत तक के लिए H1-B वीजा को सस्पेंड कर दिया है। यह खासकर भारत समेत दुनिया भर के आईटी प्रोफेशनल के लिए बड़ा झटका है। ट्रंप प्रशासन इससे पहले अप्रैल में नए ग्रीन कार्ड जारी करने पर भी पाबंदी लगा चुका है। ये पहले 60 दिनों तक लागू था, लेकिन इसे भी बढ़ाकर साल के अंत तक के लिए लागू कर दिया गया है। नवंबर में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव से पहले आधिकारिक घोषणा जारी कर, ट्रंप ने विभिन्न संगठनों, सांसदों और मानवाधिकार निकायों द्वारा आदेश के खिलाफ बढ़ते विरोध को नजरअंदाज किया है।