शिवसेना का कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाना उसके एक कार्यकर्ता को रास नहीं आया और उसने मंगलवार (26 नवंबर) की रात को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। रमेश सोलंकी नामक कार्यकर्ता ने पार्टी से इस्तीफे की घोषणा अपने अधिकारिक ट्विटर प्रोफाइल से की। उन्होंने मंगलवार की रात एक के बाद एक कई ट्वीट किए। उनके सारे ट्वीट को देखखर यही लगता है कि वह कांग्रेस, एनसीपी के साथ शिवसेना के जुड़ने से काफी दुखी हैं। उनका एक ट्वीट जो काफी वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने लिखा है- " जो मेरे श्री राम का नहीं है, वो मेरे किसी काम का नहीं है "
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि वह शिवसेना के बीवीएस/युवा सेना के पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी अंतरात्मा और विचारधारा कांग्रेस के साथ काम करने की अनुमति नहीं देती है।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, यह सब मेरे लिए वर्ष 1992 में शुरू हुआ, निर्भीक नेतृत्व और श्री बालासाहेब ठाकरे का करिश्मा था। 12 साल की उम्र में मैंने बालासाहेब की शिवसेना के लिए काम करने के लिए अपना दिल और आत्मा बना लिया था। आधिकारिक रूप से वर्ष 1998 में शिवसेना में शामिल हुआ था।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, शिवसेना के साथ काम करते हुए लगभग 21 साल हो गए हैं, पद, या टिकट की कभी भी मांग नहीं की, बस दिन हो या रात में मैंनें मेरी पार्टी के आदेश का पालन किया है।
देखें शिवसेना के पूर्व रमेश सोलंकी के एक और ट्वीट
23 नवंबर को देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 26 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। देवेंद्र फड़नवीस ने इस्तीफे से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अजित पवार ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद बीजेपी के पास विधायकों का समर्थन नहीं है।
उद्धव ठाकरे दादर में शिवाजी पार्क में 28 नवंबर को शाम छह बजकर 40 मिनट पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। गठबंधन के नेताओं ने राज्यपाल को 166 विधायकों के समर्थन वाला एक पत्र सौंपा। राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में उनसे विधानसभा में बहुमत के समर्थन वाली एक ‘‘सूची’’ तीन दिसंबर तक सौंपने के लिए कहा है।