70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' की घोषणा की गई। इस बार यह सम्मान तीन शख्सियतों को दिया जाएगा जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, गायक भूपेन हजारिका और समाजसेवी नानाजी देशमुख शामिल हैं। प्रणब मुखर्जी और नानाजी देशमुख को भारत रत्न दिए जाने पर सियासी गलियारों में सवाल उठने शुरू हो गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार हरतोष सिंह बल ने प्रणव मुखर्जी और नानाजी देशमुख को भारत रत्न दिए जाने को भारत का अपमान कहा है।
वरिष्ठ पत्रकार आरफा खानम ने भी प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट किया, 'मुझे प्रणब मुखर्जी की तीन काम बताइए जिसकी वजह से उन्हें भारत रत्न मिलना चाहिए। मुझे सिर्फ एक ही पता है- आरएसएस मुख्यालय जाना।'
हालांकि कुछ लोगों ने प्रणब मुखर्जी पर उठाए जा रहे सवालों का बचाव किया। पत्रकार रोहित सरदाना लिखते हैं, 'जिन लोगों को लगता है प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न सिर्फ़ इसलिए मिला है कि वो संघ के कार्यक्रम में गए थे, उनकी बुद्धि पर केवल तरस ही खाया जा सकता है।'
इससे पहले कर्नाटक में कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रही जनता दल सेकुलर (जेडीएस) ने भी भारत रत्न के लिए प्रणब मुखर्जी के नाम पर ऐतराज जताया है। उन्होंने सिद्धगंगा मठ के शिवकुमार स्वामी के न चुने जाने पर विरोध दर्ज कराया।
गीता मेहता का पद्मश्री स्वीकार करने से इनकार
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बहन गीता मेहता को पद्मश्री देने की घोषणा की गई जिसे स्वीकार करने से उन्होंने इनकार किया है। गीता ने शनिवार को एक प्रेस वक्तव्य जारी करते हुए कहा कि सरकार ने उन्हें चुना इसकी खुशी है लेकिन ये अवार्ड लेने का सही समय नहीं है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि नवीन पटनायक को खुश करके सरकार बीजेडी का समर्थन लेना चाहती है।