राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल नीतीश कुमार नीत जदयू द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का समर्थन किए जाने के बाद पार्टी के ही दो पदाधिकारियों ने अपने अलग विचार व्यक्त किए हैं। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव पवन के वर्मा ने खुले तौर पर लोकसभा में विधेयक के पक्ष में जदयू के मतदान पर निराशा व्यक्त करते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार से इसपर दोबारा विचार करने को कहा था। इस बीच भाजपा ने कैब पर समर्थन के लिए अपने गठबंधन साथी जदयू का आभार व्यक्त किया है। इस मसले के बाद ट्विटर पर हैशटैग #नीतीश_का_विश्वासघात ट्रेंड करने लगा है।
इस ट्रेंड के साथ राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा है, जब संवैधानिक वर्चस्व, नैतिकता, सामाजिक-लोकतांत्रिक और मानवाधिकारों की रक्षा की बात आती है, तो नीतीश कुमार के सिद्धांतों पर समझौता करने और तेज यू-टर्न लेने का एक भयावह इतिहास है। उन्हें अपनी पार्टी का भाजपा में विलय क्यों नहीं करना चाहिए?
राजद के प्रवक्ता डॉ.नवल किशोर ने लिखा है, 'सत्ता हथियाने के लिए अतिवाम वैचारिकी से दक्षिणपंथी अधिनायकवादी विचारधारा से समझौता किया और इससे भी संतुष्टि नही मिली तो 2015 में महागठबंधन को मिले जनादेश की रातोंरात हत्या कर डाली। ये सब कुकर्म और घात सिर्फ कुर्सी के लिए!!!'
राजद प्रदेश उपाध्यक्ष तनवीर हसन ने लिखा, 'पहले बिहार के जनादेश की हत्या और अब बाबा साहब के संविधान की हत्या! #नीतीश_का_विश्वासघात पूरे भारत को इजरायल बनाने में अहम योगदान निभाया है!'
अरुण कुमार यादव ने लिखा, ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे नीतीश ने ठगा नहीं। कुर्सी के लिए किसी को भी खंजर भौंकने के लिए तैयार। #नीतीश_का_विश्वासघात''
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प्रशांत किशोर और पवन के वर्मा नागरिकता विधेयक पर क्या कहा?
अतीत में जदयू ने तीन तालक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक जैसे प्रमुख विधानों का विरोध किया था। राष्ट्रीय महासचिव पवन के वर्मा ने ट्वीट किया था, ‘‘मैं नीतीश कुमार से राज्यसभा में कैब के समर्थन पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं। विधेयक जदयू के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ होने के अलावा असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सद्भाव के खिलाफ है। कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया होगा।’’
इससे पहले, सोमवार की रात में जब विधेयक को लोकसभा में मतदान के लिए रखा जा रहा था, किशोर ने ट्वीट किया था, “जदयू को ऐसे विधेयक का समर्थन करते देख निराशा हुई, धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह जदयू के संविधान से मेल नहीं खाता, जिसके पहले पन्ने पर ही तीन बार धर्मनिरपेक्ष लिखा है। हम गांधी की विचारधारा पर चलने वाले लोग हैं।’’
बीजेपी के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट कर दिया जवाब
बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया, “कुछ व्यक्ति खुद को या तो एक संस्था के रूप में या संगठनात्मक ढांचे से परे स्थापित करना चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि उनका नेता उनका अनुसरण करें और उनके हुक्म के अनुसार चले। जो देश के लिए भी किसी मतभेद को नहीं भुला सकता, वह बेकार है।’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने सभी दलों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने अपने पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर अलग अलग राय होने पर पर्दा डालते हुए कहा, “हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है इसलिए कोई आदेश नहीं है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। पार्टी ने इस तथ्य के बाद अपना आधिकारिक रुख अपनाया कि आस-पास के देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत से मदद मिलनी चाहिए।’