'जम्मू कश्मीर के लोग ऑनलाइन गंदी फिल्में देखने के अलावा कुछ नहीं करते', नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत के बयान पर बवाल मचा हुआ है। हालांकि अपने बयान पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने माफी मांगी है। अपने इस बयान को लेकर लेकिन नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ट्विटर पर ट्रोल हो रहे हैं। कई नेता ओर देश के पत्रकार उनके बयान की आलोचना कर रहे हैं। सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने इस पर कहा है कि वीके सारस्वत को भारत का संविधान पढ़कर खुद को अपडेट करने की जरूरत है।
येचुरी ने सारस्वत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये ट्वीट कर कहा, ‘‘यह व्यक्ति (सारस्वत) नीति आयोग के सदस्य हैं। उन्हें खुद को अपडेट करने के लिये भारत का संविधान पढ़ने की जरूरत है और वह प्रस्तावना से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।’’
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलनों के बारे में येचुरी ने कहा कि सीएए एनआरसी के विरोध में देश के सभी शहरों और कस्बों में आंदोलन हो रहे हैं और वह (सारस्वत) इन आंदोलनों में पढ़ी जा रही संविधान की प्रस्तावना से खुद को अवगत करा सकते हैं।
राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट कर लिखा, वीके सारस्वत का यह बयान बेहद आपत्तिजनक है।
देखें किसने क्या कहा?
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत का पूरा बयान और सफाई में क्या कहा?
नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत के कश्मीर के बारे में दिए गए बयान पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने अपनी सफाई में कहा है कि उनके बयान को गलत संदर्भ में उद्घृत किया गया और अगर उनकी बात से किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो वह माफी चाहते हैं। सारस्वत ने गुजरात के गांधीनगर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद रहने का देश की अर्थव्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि वहां के लोग ऑनलाइन ‘‘गंदी फिल्में’’ देखने के अलावा और कुछ नहीं करते थे।
रक्षा शोध और विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व महानिदेशक ने पीटीआई भाषा को बताया कि उन्होंने मीडिया से “गंदी फिल्मों” के बारे में नहीं कहा था और कहा कि उन्हें गलत तरीके से उद्घृत किया गया है। उन्होंने कहा कि वह छात्रों से तकनीक और 5जी संचार से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बात कर रहे थे। उन्होंने आगे कहा, “बातचीत के दौरान किसी ने कश्मीर के बारे में पूछा और मैंने कहा- हां इंटरनेट जरूरी है और इस बारे में मैं सभी कश्मीरियों की भावनाओं का सम्मान करता हूं कि उन्हें इंटरनेट मिलना चाहिए और इस तथ्य से सहमत हूं कि उनके पास आजादी होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा, “लेकिन कभी-कभी सरकारों को कानून-व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए कदम उठाने पड़ते हैं और कभी-कभी इंटरनेट बंद करना पड़ता है। उसके बाद बात खत्म हो गई और हमने दूसरे कई विषयों पर बात की। कई बातों में से उन्होंने इस बेतुकी बात को चुन लिया। मुझे गलत तरीके से उद्घृत किया गया। मुझे संदर्भ से अलग गलत ढंग से उद्धृत किया गया।” उन्होंने कहा, “चूंकि मुझे मीडिया ने गलत ढंग से उद्धृत किया है, इसलिए अगर इस विषय में कश्मीरी लोगों या किसी भी भी भावनाएं आहत हुई हैं तो मैं उसके लिए माफी मांगता हूं।”