नई दिल्ली:पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali) द्वारा बनाई गई कोरोना वायरस ( COVID-19) के इलाज के लिए 'दिव्य कोरोनिल टैबलेट' (Divya Coronil Tablet) लॉन्च के बाद से विवादो में है। दवा को लॉन्च करते हुए बाबा रामदेव दावा किया था कि सात दिनों में इससे कोरोना के मरीजों का इलाज होगा। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद को इस दवा का प्रचार करने पर रोक लगा दी है। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया है कि छह 'मुस्लिमों' वैज्ञानिकों ने मिलकर 'कोरोनिल' पर रोक लगाई है। इस वायरल मैसेज में छह 'मुस्लिम वैज्ञानिक' के नाम भी दिए गए हैं। आइए जानते हैं इस वायरल मैसेज में कितनी सच्चाई है?
जानिए क्या दावा किया जा रहा है सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में?
वायरल मैसेज में लिखा गया है, ''आयुष मंत्रालय में दवाओं पर रिसर्च और अप्रूवल देने वाले साइंटिफिक पैनल के टॉप 6 साइंटिस्टों के नाम पढ़िए...'असीम खान, मुनावर काजमी, खादीरुन निशा, मकबूल अहमद खान, आसिया खानुम, शगुफ्ता परवीन...'बाकी समझ जाइए की रामदेव की 'कोरोनिल' दवा पर रोक क्यों लगी थी, यही है सिस्टम जिहाद.?
फैक्ट चेक: वैज्ञानिकों की सूची को सरकार ने बताया फर्जी
सरकार द्वारा संचालिट पीआईबी फैक्ट चेक की टीम ने इस वायरल मैसेज पर कहा है कि आयुष मंत्रालय के नाम पर दिए गए वैज्ञानिकों की सूची फर्जी है। आयुष मंत्रालय में इन छह नामों वाला कोई वैज्ञानिक पैनल नहीं हैं।
पीआईबी फैक्ट चेक ने लिखा, ''दावा- एक ट्वीट में आरोप लगाया गया है कि आयुष मंत्रालय के वैज्ञानिक पैनल के कुछ व्यक्ति, कोरोना की एक कथित दवाई की स्वीकृति पर रोक लगा रहे हैं।'' फैक्ट चेक यह है कि आयुष मंत्रालय में ऐसा कोई वैज्ञानिक पैनल नहीं हैं।
'कोरोनिल' को लेकर आयुष मंत्रालय के एक डॉक्टर को भी हटाने की उड़ी थी अफवाह
एक अन्य फैक्ट चेक में पीआईबी ने बताया है कि पिछले दिनों एक घटना का हवाला देते हुए एक ट्विटर मैसेज में दावा किया है कि आयुष मंत्रालय से एक डॉक्टर को हटा दिया गया है।
लेकिन सच यह है कि आयुष मंत्रालय के अनुसार हाल ही के दिनों में किसी भी डॉक्टर या चिकित्सा अधिकारी को किसी भी ड्यूटी या सेवा से नहीं हटाया है।
आयुष मंत्रालय फिलहाल 'कोरोनिल' की कर रहा है जांच
पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोना की दवाई 'दिव्य कोरोनिल टैबलेट' को बाबा रामदेव ने 23 जून 2020 लॉन्च किया था। उसी दिन आयुष मंत्रालय ने दवाई के प्रचार पर रोक लगा दी थी। आयुष मंत्रालय ने कहा है कि जांच के बाद ही दवा की ब्रिकी की इजाजत दी जाएगी। आयुष मंत्रालय फिलहाल दवाई की जांच में लगी हुई है।
उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने भी कहा है कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को कोरोना की दवा के लिए नहीं बल्कि इम्युनिटी बूस्टर और खांसी-जुकाम की दवा के लिए लाइसेंस जारी किया गया था।