उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर हुई हिंसा में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल हमेशा अपनी ड्यूटी को तरजीह देते थे। सोमवार (24 फरवरी) को बुखार होने वाले बावजूद 42 साल के रतन लाल ने ड्यूटी पर जाना जरूरी समझा। इसी दौरान दिल्ली में भड़की हिंसा में उन्हें उपद्रवियों के हाथों जान गंवानी पड़ी। रतन लाल की मौत की खबर सुनते ही उनके परिजन रोते-बिलखते बार-बार यही कह रहे थे और वह ड्यूटी पर नहीं जाते आज हमारे बीच होते। रतन लाल की मौत की जानकारी घटना के काफी देर बाद उनके बच्चों को दी गई। परिजनों के अनुसार पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रतन लाल का अंतिम संस्कार पैतृक गांव में किया जाएगा।
22 साल पहले दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए थे रतन लाल
राजस्थान के सीकर के रहने वाले रतन लाल सिर्फ 20 साल की उम्र में दिल्ली पुलिस में साल 1998 में भर्ती हुए। वर्तमान में एसीपी गोकुलपुरी के ऑफिस में तैनात थे। दिल्ली में वह बुराड़ी के अमृत विहार इलाके में रहते थे। हिन्दुस्तान में छपी खबर के अनुसार, रतन लाल के परिवार में उनकी पत्नी पूनम, 12 साल की बेटी सिद्धि और सात साल का लड़का बेटा राम है। उनकी पत्नी पूनम ने बताया कि पहले सूचना मिली रतन लाल घायल हो गए हैं। बाद में जानकारी मिली कि वो नहीं रहे। घटना की सूचना मिलते ही गांव में मौजूद रतन लाल के भाई मनोज और परिवार के अन्य लोग सोमवार शाम तक दिल्ली पहुंच गए थे।
डीसीपी अमित शर्मा भी घायल
उपद्रवियों के हिंसा में घायल शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा समेत छह पुलिसकर्मियों को दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डीसीपी अमित शर्मा के सिर में गंभीर चोट लगी है। डॉक्टरों का कहना है कि डीसीपी शर्मा के सिर में खून का थक्का जमने की वजह से हालत अभी गंभीर बनी हुई है। अस्पताल में न्यूरो विभाग के वरिष्ठ डॉक्टरों की टीम उनकी निगरानी कर रही है। डॉक्टरों का कहना है कि दवा से डीसीपी अमित शर्मा के थक्के को हटाने का प्रयास जारी है और अगर दवा से थक्का नहीं हटता है तो उनकी सर्जरी की जाएगी। मैक्स अस्पताल की ओर से जारी बयान के मुताबिक सोमवार देर रात तक 4 पुलिसकर्मियों को अस्पताल में ही भर्ती रखा गया था। वहीं इलाज के बाद दो पुलिसकर्मियों को छुट्टी दे दी गई थी।