सनातन धर्म में पक्षी एवं पशुओं को भी पूजने का विधान बनाया गया है, क्योंकि यह भी पर्यावरण को व्यवस्थित रखने में सहायक होते है। ऐसा ही एक त्यौहार नाग पचंमी है। जिस दिन नागों एवं सांपों का पूजन होता है। यह पर्व इस बार श्रावण शुक्ल पंचमी 25 जुलाई 2020 शनिवार को मनाया जाएगा। नाग चूहों को खाकर उनकी संख्या को सिमित रखते है। चूहे यदि बड़ी मात्रा में हो जाए तो फसलों एवं अनाज को नुकसान पहुंचा सकते है। इसलिए नागों को पूजा जाता है। भगवान शिव तो इसको गहनों के रूप में धारण करते है। उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा के अनुसार सपेरे द्वारा पकडे़ गए नाग की नहीं करनी चाहिए। नाग का पूजन सदैव नाग मंदिर में ही करना चाहिए। सपेरे नाग को पकड़कर उनके दांतों को तोड़ देते हैं। जिससे वह शिकार करने लायक नहीं रहता तथा बाद में भूख से मर जाता है। जिसका समस्त पाप पूजन करने वाले को लगता है। इस भ्रम में नहीं आए की नाग दूध पीता है। नाग शाकाहारी प्राणी नहीं है, वह दूध नहीं पीता। दूध पीने से जहर उसके शरीर मे ही जा सकता हे। जिससे वह स्वयं भी मर सकता है।