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बेलूर मठ का इतिहास

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 12, 2020 16:29 IST

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बेलूर मठ हावड़ा जिले में गंगा के पश्चिमी किनारे पर चालीस एकड़ में फैला हुआ है..अलग अलग धर्मों को मानने वाले लोगों लिए एक महान तीर्थ है बेलूर मठ..जिन लोगों की किसी भी धर्म कोई रुचि नही वो भी आध्यात्मि शांति के लिए बेलूर मठ आते है. बेलूर मठ में स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन के अंतिम दिन गुजारे थे..विवेकानंद इसी मठ भूमि में 1898 में श्री रामकृष्णदेव परमहंस के पवित्र अस्थि कलश अपने कंधों पर उठा कर लाये थे और पूजा वेदी स्थापित की थी..गंगा तट पर बने बेलूर मठ परिससर में श्री रामकृष्ण देव, मां सारदा देवी और विवेकानंद के मंदिर हैं..जहां उनकी अस्थियां रखी गयी है..यहीं स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण देव के अन्य शिष्य भी रहे थे..मां सारदा देवी भी खुद यहां कई बार आयीं थी..जिस कमरे में स्वामी विवेकानंद ने महासमाधि ली थी वो कमरा आज यहां आने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है..रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय भी यहीं है..एक विश्वविद्यालय एक डिग्री कॉलेज एक पॉलीटेक्निक कई और एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बेलूर मठ के पास ही बने कैंपस में चलते है.  
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