बालिगों को अपनी जिंदगी के फैसले लेने का पूरा हक है सुप्रीम कोर्ट
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 9, 2018 18:37 IST2018-01-09T18:36:44+5:302018-01-09T18:37:47+5:30
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लड़कियां अपनी जिंदगी का फैसला खुद ले सकती हैं। उच्चतम न्यायालय ने साफ कहा है कि बालिग लड़कियों को अपनी जिंदगी मन मुताबिक जीने का हक है और कोर्ट उनके 'सुपर गार्जियन' न बनें। एक मां ने कोर्ट में याचिका डाल अपनी बेटी की कस्टडी की मांग की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ये कहते हुए ठुकरा दिया है।मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में बेंच ने कहा कि बालिग लड़कियां अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले सकती हैं। बेंच ने कहा, 'इसके लिए यह विशेष रूप से जोर देने की जरूरत नहीं है। बालिगों को अपनी जिंदगी के फैसले लेने का पूरा हक है। उनकी पसंद में कोर्ट उनका सुपर ग्राजियन नहीं बन सकता।' कोर्ट में तिरुवनंतपुरम की रहने वाली एक मां ने याचिका डालकर अपनी बेटी की कस्टडी की मांग की थी मां ने अपनी याचिका में कहा था कि उसकी 19 वर्षीय बेटी कुवैत में पिता के साथ रहती है। मां ने बेटी की कस्टडी की मांग की थी जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया है। लड़की ने कोर्ट को कहा कि वो अपने पिता के साथ कुवैत में रहना चाहती है और वहीं अपना करियर बनाना चाहती है |

















