देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में बीती 19 जुलाई को नमामि गंगे परियोजना के पास करंट फैलने से 15 की मौत हो गई थी। हादसा ट्रांसफार्मर के फटने के बाद फैले करंट से हुआ था। अब इस दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच में उस वजह का खुलासा हुआ है जिसके कारण इतना भयानक हादसा हुआ।
मजिस्ट्रेट जांच में पता चला है कि नमामी गंगे योजना के तहत संचालित जल-मल शोधन संयंत्र (एसटीपी)में हाल में करंट लगने की घटना अर्थिंग में खामी की वजह से हुई। चमोली के अपर जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक त्रिपाठी ने पूरे प्रकरण की जांच की और शनिवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इसमें बताया गया है कि STP प्लांट की व्यवस्था विद्युत मानकों के अनुरूप नहीं थी।
एसटीपी में हुई घटना में कुल 16 लोगों की मौत हो गई थी। रिपोर्ट में घटना के लिए एसटीपी में विद्युतीकरण जिम्मेदारी संभाल रहीं संयुक्त उपक्रम की कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया गया है जिन्होंने ठेके और सुरक्षा मानकों की अनदेखी की। मजिस्ट्रेट जांच में उनका ठेका रद्द करने और राज्य में काली सूची में डालने की सिफारिश की गई है।
इस संयुक्त उपक्रम में जयभूषण मलिक ठेकेदार, पटियाला (प्रमुख साझेदार) और कॉन्फिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड , कोयंबटूर शामिल है। चमोली के अलकनंदा नदी किनारे स्थित एसटीपी की सीढ़ियों और रेलिंग में 18-19 दरमियानी रात करंट दौड़ गया था जिसकी चपेट में आकर 16 लोगों की जान चली गई थी और 11 अन्य घायल हो गए थे। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने कहा कि एसटीपी में कुछ मरम्मत कार्य करने के लिए 20 मिनट तक बिजली आपूर्ति बंद की गई थी और जब इसे बहाल किया गया तो हादसा हो गया। इस मामले में संयुक्त उपक्रम कंपनी के सुपरवाइजर सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
हादसे के बाद उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (उपाकालि) ने भी माना था कि हादसा फीडर के जम्पर को लगाने के लिए लिया गया शटडाउन वापस लेने के बाद हुआ।