लखनऊः अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती एकला चलो की नीति पर ही चलेंगी. बुधवार को लखनऊ के पार्टी मुख्यालय में पार्टी के सीनियर नेताओं की मौजूदगी में मायावती ने अपने इस फैसले से सभी को अवगत कराया. मायावती के इस ऐलान के बाद से बसपा के इंडिया गठबंधन से साथ जोड़ने को लेकर हो रही चर्चाओं पर विराम लग गया है.
इसके साथ ही मायावती ने पार्टी नेताओं की बैठक में अपने भतीजे आकाश आनंद के कंधे पर हाथ रखकर यह सियासी संदेश भी दे दिया कि पार्टी के तमाम फैसलों में आकाश आनंद की अहम भूमिका रहेगी. कई राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव तथा आगामी लोकसभा को लेकर आकाश के फैसले सभी को मनाने होंगे.
गठबंधन से बसपा को होता है नुकसानः
पार्टी मुख्यालय में हुई बैठक लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मायावती ने आज लखनऊ में बीएसपी नेताओं की मीटिंग बुलाई थी. इस बैठक में पार्टी के कोऑर्डिनेटर से लेकर जिला अध्यक्षों तक को बुलाया गया था. इस बैठक में आकाश आनंद के अलावा मायावती के भाई आनंद कुमार और पार्टी का ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले सतीश चंद्र मिश्रा भी मौजूद थे.
आकाश आनंद लखनऊ की बैठक में शिरकत करने के लिए राजस्थान की यात्रा को छोड़कर शामिल हुए थे. आकाश आनंद इन दिनों राजस्थान में बसपा को जिताने के लिए पूरे दमखम के साथ लगे हुए हैं. इस बैठक में पश्चिमी यूपी के सबसे ताकतवर मुस्लिम नेता इमरान मसूद को नहीं बुलाया गया. बताया जाता है कि वे भी कांग्रेस से गठबंधन करने की वकालत कर रहे थे.
इस कारण से उन्हे बैठक में बुलाया नहीं गया. और ऐसा करके मायावती बैठक में आए नेताओं को बताया कि गठबंधन करने से उन्हें फायदा के बदले नुकसान ही होता है. दूसरी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से बसपा का वोट दूसरी पार्टी में ट्रांसफर हो जाता है. लेकिन गठबंधन वाली पार्टी का वोट उनकी पार्टी के पक्ष में ट्रांसफर नहीं होता है.
इसलिए इस बार 2024 के चुनाव के लिए उन्होंने सत्ता पक्ष और विपक्षी एकता वाले गठबंधन से बराबर की दूरी बनाए रखने का फैसला किया है. मायावती के इस ऐलान से बसपा के विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में शामिल होने ही संभावनाओं पर विराम लगा गया. कांग्रेस के साथ भी बसपा के गठबंधन करने की चर्चा भी अब खत्म हो गई है.
एकतरफा नहीं होगा लोकसभा चुनाव:
बैठक के दौरान मायावती ने कार्यकर्ताओं से गांव-गांव जाकर बैठक करके बसपा का जनाधार बढ़ाने की बात कही. वही, पिछली बैठकों में दिए गए निर्देशों की प्रगति रिपोर्ट की गहन समीक्षा के बाद मिली कमियों को दूर करने का निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि सभी कार्यकर्ता पूरे मन,तन धन से लोकसभा चुनाव में जुट जाए.
भाजपा को लेकर मायावती ने पार्टी नेताओं से कहा कि भाजपा की जातिवादी और साम्प्रदायिक राजनीति और द्वेषपूर्ण अराजकता से सभी दुखी और त्रस्त है. इस चलते भाजपा अपना प्रभाव ही नहीं, बल्कि अपना जनाधार भी लगातार खो रही है. यह प्रक्रिया आगे जारी रहने वाली है. जिससे लोकसभा चुनाव में एकतरफा न होकर काफी दिलचस्प व देश की राजनीति को नया करवट देने वाला साबित होगा.