ट्रेवलर्स हो जाएं सावधान, ज्यादा घूमने से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा
By धीरज पाल | Updated: April 3, 2018 17:55 IST2018-04-03T17:55:26+5:302018-04-03T17:55:26+5:30
बदलते वातावरण की वजह से जेट लैग जैसी बिमारी का शिकार होना पड़ता है।

ट्रेवलर्स हो जाएं सावधान, ज्यादा घूमने से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा
नए-नए शहरों, जगहों, और पहाड़ों की ऊंचाईयों पर घूमना भला किसे पसंद नहीं है, लेकिन ज्यादा घूमना आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। एक रिपोर्ट्स के के मुताबिक लगातार यात्रा करना जेट लैग का कारण बन सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जेट लैग कोई फिजकल प्राब्लम नहीं है, यह नए-नए वातारण के कारण हमारी बॉडी क्लॉक के बिगड़ जाने का परिणाम होता है। ज्यादा ट्रैवल करने से हमारी बॉड़ी क्लॉक गड़बाने के आसार ज्यादा होते हैं इससे शरीर में ट्यूमर बनने की आशंका रहती है।
दरअसल, जब हम एक जगह से दूसरे जगह यात्रा करते हैं तो हर जगह का वातावरण समान नहीं रहता है। बदलते वातावरण की वजह से जेट लैग जैसी बिमारी का शिकार होना पड़ता है। जेट लेग से पीड़ित व्यक्ति को नींद न आना, दिनभर जम्हाइयां लेना, बेवक्त भूख लगना, थकान- सिरदर्द, एकाग्रता की कमी, चक्कर व मितली आना, घबराकर उठ जाना वगैरह जैसी कुछ प्रॉब्लम्स से गुजरना पड़ता है। साथ ही यह शरीर के उन आंतरिक बॉडी क्लॉक के उन कोशिकाओं पर भी प्रभाव डालता है, जिनमें कैंसर को रोकने की क्षमता होती है।
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जेट लैग से छुटकारा पाने के उपाय
ऐसे वक्त में आप कोल्ड ड्रिंक का सेवन कर सकते हैं, लेकिन अल्कोहल नहीं। ट्रिप अगर छोटी हो, तो रेग्युलर शेड्यूल ही अपनाएं। लंबी ट्रिप पर जाएं, तो उस जगह का वेदर और शेड्यूल पता कर उसके मुताबिक ऐडजस्ट होने की कोशिश करें। रोजाना एक्सरसाइज करें। फ्रेश हवा में घूमें।अच्छी किताबें और म्यूजिक सुनें। कम समय के लिए नींद की दवा भी यूज कर सकते हैं। ऐसे समय में अरोमा तेल भी आपको सुकून देगा। इसे कलाई, कनपटी और तलवे पर लगाएं।
एक रिपोर्ट्स में कहा गया है कि हमारी आंतरिक बॉडी क्लॉक बाहरी प्रकाश और अंधकार के साथ तालमेल बनाते हुए चलती है और लोगों के व्यवहार व गतिविधि के स्तरों को प्रेरित करती है। शोध के मुताबिक यह दो प्रोटीन के माध्यम से होता है - INK4 और ARF, जो कैंसर को दबाने के लिए जाना जाता है।
इससे पहले एक रिसर्च के मुताबिक पाया गया था कि कोशिकाओं के आकार में समय के साथ उतार चढ़ाव होता है, जिसे जीवन काल का निर्धारण और कैंसर की शुरुआत से जोड़ा जा सकता है।जैविक क्लॉक में परिवर्तन हृदय रोगों और मधुमेह के खतरे को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है।
