पाकिस्तान के हिंगलाज मंदिर में मुस्लिम भक्तों की लगती है भीड़, जुड़ी है पौराणिक मान्यताएं

By धीरज पाल | Updated: March 23, 2018 15:10 IST2018-03-23T15:10:10+5:302018-03-23T15:10:10+5:30

पाकिस्तान स्थित माता के इस मंदिर में सिंध-कराची के हिन्दू श्रद्धालुओं के अलावा इस इलाके के मुस्लिम श्रद्धालु भी मत्था टेकने आते हैं।

Famous Hindu Temple in Pakistan Hinglaj Mata Mandir: Know mythological significance in hindi | पाकिस्तान के हिंगलाज मंदिर में मुस्लिम भक्तों की लगती है भीड़, जुड़ी है पौराणिक मान्यताएं

पाकिस्तान के हिंगलाज मंदिर में मुस्लिम भक्तों की लगती है भीड़, जुड़ी है पौराणिक मान्यताएं

हिंगलाज देवी मंदिर पड़ोसी देश पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य में स्थित है। यह मंदिर अपनी मान्यताओं और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। मंदिर बलूचिस्तान प्रांत में सिंध राज्य की राजधानी कराची से 120 किलोमीटर दूर स्थित है। हिंगोल नदी के तट पर बसने की वजह से से इस मंदिर का नाम हिंगलाज माता मंदिर रखा गया है। यह मंदिर 51वें शक्तिपीठ में से एक माना जाता है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि सती माता के शव को भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से काटे जाने पर यहां उनका ब्रह्मरंध्र (सिर) गिरा था।

यह मंदिर भारत और पाकिस्तान में ही नहीं विख्यात है बल्कि कई देशों में इसके चर्चे होते हैं। इसलिए यहां पूरे साल भक्तों का मेला लगा रहता है। नवरात्रि के दौरान यहां नौ दिनों का विशेष  आयोजन किया जाता है। इस दौरान हिंगलाज मंदिर में भक्तों की भीड़ देखी जाती है। इस मंदिर में भारत के साथ-साथ सिंध-कराची के लाखों सिंधी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर लगभग 2000 वर्ष पुराना है।

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मंदिर की पौराणिक मान्यताएं 

हिंगलाज माता मंदिर हिन्दू भक्तों के साथ मुस्लिम भक्तों के आस्था का प्रमुख केंद्र है। जैसा कि यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर की अपनी पौराणिक मान्यताएं है। पौराणिक कथा के मुताबिक जब भगवान शंकर माता सती के मृत शरीर को अपने कंधे पर लेकर तांडव नृत्य करने लगे, तो ब्रह्माण्ड को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के मृत शरीर को 51 भागों में काट दिया।  

मान्यतानुसार हिंगलाज ही वह जगह है जहां माता का सिर गिरा था। यहां माता सती कोटटरी रूप में जबकि भगवान भोलेनाथ भीमलोचन भैरव रूप में प्रतिष्ठित हैं। माता हिंगलाज मंदिर परिसर में श्रीगणेश, कालिका माता की प्रतिमा के अलावा ब्रह्मकुंड और तीरकुंड आदि प्रसिद्ध तीर्थ हैं। एक अन्य मान्यता के मुताबिक इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की हर रात इस स्थान पर सभी शक्तियां एकत्रित होकर रास रचाती हैं और दिन निकलते ही हिंगलाज माता के भीतर समा जाती है।  

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नवरात्रि में श्रद्धालुओं का तातां 

चैत्र नवरात्रि जो अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च से शुरू होता है। हालांकि आए दिन मंदिर में भक्तों की भीड़ देखी जाती है लेकिन मार्च महीने में इस स्थान पर हजारों की संख्या में हिंदू अनुयायी आते हैं और लगातार तीन दिन तकर मंत्र जाप करते हैं। मान्यता है कि जो स्त्रियां यहां दर्शन कर लेती हैं व हाजियानी कहलाती है। इतना ही नहीं इन महिलाओं को विशेष सम्मान के साथ देखा जाता है। 

मंदिर की यात्रा 

मंदिर तक पहुंचने के पहाड़ी और मरुस्थली मार्ग अपना सकते हैं। मंदिर चक कोई गाड़ियां नहीं चलती है बल्कि यहां पैदल पहुंचा जा सकता है। हिंगलाज मंदिर में दाखिल होने के लिए पत्थर की सीढियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर में सबसे पहले श्री गणेश के दर्शन होते हैं जो सिद्धि देते हैं। सामने की ओर माता हिंगलाज देवी की प्रतिमा है जो साक्षात माता वैष्णो देवी का रूप हैं। 

Web Title: Famous Hindu Temple in Pakistan Hinglaj Mata Mandir: Know mythological significance in hindi

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