चैत्र नवरात्रि 2018: 450 साल पुराने मां भगवती के इस मंदिर में लगता है विशाल मेला, दर्शन मात्र से होती है मुराद पूरी

By धीरज पाल | Published: March 22, 2018 09:04 AM2018-03-22T09:04:42+5:302018-03-22T09:04:42+5:30

चैत्र मास की छठ, सप्तमी व अष्टमी और नवमी पर इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।

Chaitra Navratri 2018: Goddess Bhagwati 450 years old temple, visit this navratri to fulfill your wishes | चैत्र नवरात्रि 2018: 450 साल पुराने मां भगवती के इस मंदिर में लगता है विशाल मेला, दर्शन मात्र से होती है मुराद पूरी

चैत्र नवरात्रि 2018: 450 साल पुराने मां भगवती के इस मंदिर में लगता है विशाल मेला, दर्शन मात्र से होती है मुराद पूरी

इस वक्त चैत्र नवरात्रि चल रही है। इस दौरान देशभर के देवी दुर्गा के मंदिरों में भारी संख्या में भक्तों की दिख रही है। चैत्र नवरात्रि में लोग अपने घर में माता की चौकी, कलश स्थापित करके पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन कुछ लोग चैत्र नवरात्रि में दूर-दराज स्थित मां के मंदिरों में जाकर मत्था टेकते हैं। ताकि मां भगवती की कृपा हमेशा बनी रहे। चैत्र नवरात्रि के मौके पर हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में अवगत कराएंगे जहां मत्था टेकने व दर्शन मात्र से ही बिगड़े काम बन जाएंगे। इस प्राचीन देवी मां के मंदिर नवरात्रि के दौरान मेला लगता है। 

गाजियाबाद में स्थित हैं ये मंदिर 

मंदिर का नाम महामाया मंदिर है जो गाजियाबाद के मोदीनगर कस्बे में सीकरी खुर्द ग्राम में स्थित है। इस मंदिर की स्थानीय लोगों में बहुत मान्यता है। वैसे यहां भक्तों की भीड़ हमेशा रहती है लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माता का भव्य दरबार लगात है। चैत्र मास के छठ, सप्तमी, अष्टमी और नवमी की तिथि पर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। 

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450 साल पुराना है यह मंदिर 

मंदिर को देखकर ही लगता है यह काफी पुराना है। मंदिर की स्थाना कब की इसका कोई पुख्ता जानकारी नहीं है लेकिन यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मंदिर लगभग 450 साल पुराना है। माना जाता है कि यह मंदिर जहां स्थापित है वहां किसी समय में गोस्वामी बिरादरी के महंत जालिम गिरी एक झोपड़ी में रहकर पूजा पाठ करते थे। जैसा कि चैत्र मास की छठ, सप्तमी व अष्टमी और नवमी पर इस मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं। इस अवसर पर मंदिर के चारों ओर लगभग पचास एकड़ भूमि पर विशाल धार्मिक मेला लगता है। 

मेले में खेल-तमाशे, सर्कस, चाट-पकौड़ी, मिठाई, आदि के साथ-साथ किसानों के घरों वे खेतों में उपयोग आने वाला सामान भी भारी मात्रा में बिकता है। इस प्रकार की दुकान लगाने वाले व्यापारी दूर-दराज स्थानों से यहां पहुंचते हैं। मंदिर के चारों ओर लगने वाले इस मेले में एक छोर पर गधे, घोडे़ व खच्चरों का बाजार भी लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में गधे, घोड़े व खच्चर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान व अन्य दूरदराज क्षेत्रों से लाए जाते हैं। इनकी भी भारी संख्या में खरीद-फरोख्त होती है।

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क्रांति का प्रतीक है ये मंदिर 

इस मंदिर के बीच में एक विशाल बरगद का पेड़ है। इस बरगद के पेड़ पर 1857 में डगलस नाम के अंग्रेज ने गांव वालों पर हमला कर 131 लोगों को फांसी पर लटका दिया था। तब से आज तक लोग इसे क्रांति का प्रतीक मंदिर भी मानते हैं। 

नवरात्रि में प्रशासन की कड़ी निगरानी

नवरात्रि में माता के दर्शन के लिए हजारों भक्तों की तादाद जमा हो जाती है। मेले में भीड़ को नियंत्रित रखने के लिए प्रशासन का पुख्ता इंतजाम किया जाता है। ताकि भक्तों को किसी प्रकार को दिक्कत न पैदा हो। चारों ओर सीसीटीवी कैमरे से पहरेदारी की जाती है। ताकि गड़बड़ी की कोई गुंजाइश न रहे। 

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