नवरात्रि स्पेशल: इस देवी की कृपा से हुआ था कंस का वध, छठे दिन लगता है विशाल मेला

By धीरज पाल | Published: March 23, 2018 07:23 AM2018-03-23T07:23:01+5:302018-03-23T08:55:42+5:30

Maa Katyayani Puja (माँ कात्यायनी पूजा)| Navratri 2018 day 6 (नवरात्रि दिवस षष्ठी): वृन्दावन स्थित श्री कात्यायनी पीठ भारतवर्ष के उन अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक अत्यन्त प्राचीन सिद्धपीठ है।

Chaitra Navratri 2018: Worship Maa Katyayani Devi on the 6th day of Navratri | नवरात्रि स्पेशल: इस देवी की कृपा से हुआ था कंस का वध, छठे दिन लगता है विशाल मेला

Navratri 2018 day 6| Maa Katyayani Puja| नवरात्रि दिवस षष्ठी| माँ कात्यायनी पूजा

भगवान श्री कृष्ण और कंस के बीच की पुराणों में कई कहानियां प्रचलित है। इनके बीच हुई युद्ध और षडयंत्र की कहानियों को कई बार टेलीविजन पर प्रसारित किया जा चुका है। पुराणों के मुताबिक भगवान कृष्ण ने कंस का वध किया था। लेकिन क्या आपको  मालूम है कि भगवान श्री कृष्ण को मां भगवती का आशीर्वाद प्राप्त था जिससे उन्होंने कंस का वध किया था। इस वक्त चैती नवरात्रि चल रही है ऐसे में इसका महत्व ब्रज क्षेत्रवासियों के बीच में देखी जा सकता है। क्योंकि मथुरा में भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मानी जाती है। कृष्ण की नगरी की तीन लोकों में सबसे न्यारी मानी जाती है। क्योंकि नवरात्रि में मंदिरों से देवी की जयकारा की गूंज इतना तेज होती है पूरी नगरी देवनगरी बन जाती है। 

ब्रज में स्थित है कात्यायनी माता का भव्य मंदिर 

नवरात्रि के दौरान मां भगवती के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इनमें से कात्यायनी माता की पूजा छठे दिन किया जाता है। कात्यायनी माता का मंदिर ब्रज में स्थित है जो देवी के प्रति भक्ति भाव प्रकट करती है। श्रीकृष्ण द्वारा पूजी गई देवी मां के इस मंदिर में कोई खाली हाथ वापस नहीं लौटता है। हर किसी की मुराद पूरी होती है। नवरात्रि के छठे दिन भारी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं और माता का आशिर्वाद लेते हैं। इसका जिक्र भगावत के 10वें स्कंध के 22वें अध्याय में मिलता है। इसके मुताबिक ब्रज में कात्यायनी नामक शक्तिपीठ स्थापित है।

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हिंदू मान्यताओं के मुताबिक भगवान श्री कृष्ण के मामा कंस थे। कंस को दैवीय शक्तियों से मालूम चला कि उन्हें मारने वाला कोई और नहीं बल्कि उनकी बहन का पुत्र होगा। ऐसे में एक  पुराणों के अनुसार कंकाली से लेकर चामुण्डा देवी मंदिर तक अम्बिका वन हुआ करता था। इस क्षेत्र के भैरव स्वयं भूतेश्वर हैं तथा वर्तमान में महाविद्या के नाम से पूजी जाने वाली देवी ही तत्कालीन अम्बिका हैं? कृष्ण ण जन्म के पश्चात नन्दबाबा जात कर्म करने यहीं आए थे तथा यहीं आकर कृष्ण ने कंस को मारने की योजना बनाई थी।

पौराणिक कथा के मुताबिक दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में शिव को आमंत्रित नहीं किया फिर भी भगवती सती ने जाने का आग्रह किया और रोकने पर वे क्रोधित हुईं तो उनके विकराल रूप को देखकर भगवान शिव भागने लगे। शिव को भागने से रोकने के लिए दसों दिशाओं में सती ने अपनी अधौभूता दस देवियों को प्रकट किया था।उनका कहना है कि श्रीकृष्ण ने ब्रजभूमि में विभिन्न लीलाएं की थीं। कंस का वध करने के पहले कन्हैया और बलराम ने बगुलामुखी देवी का आशीर्वाद लिया था और फिर कंस टीले पर उनका वध किया था।

पौराणिक मान्यता

भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि वृन्दावन में भगवती देवी के केश गिरे थे, इसका प्रमाण प्राय: सभी शास्त्रों में मिलता ही है। आर्यशास्त्र, ब्रह्म वैवर्त पुराण एवं आद्या स्तोत्र आदि कई स्थानों पर उल्लेख है- व्रजे कात्यायनी परा अर्थात् वृन्दावन स्थित पीठ में ब्रह्मशक्ति महामाया श्री माता कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध है। वृन्दावन स्थित श्री कात्यायनी पीठ भारतवर्ष के उन अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक अत्यन्त प्राचीन सिद्धपीठ है। देवर्षि श्री वेदव्यास जी ने श्रीमद् भागवत के दशम स्कंध के बाईसवें अध्याय में उल्लेख किया है- कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नम:॥

English summary :
Read Here Maa Katyayani Mythological Story on Navratri 2018 day 6 and know Maa Katyayani Puja Vidhi and significance of her Vrat.


Web Title: Chaitra Navratri 2018: Worship Maa Katyayani Devi on the 6th day of Navratri

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