शहीद दिवस: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जब हंसते-हंसते आज के दिन चढ़ गए थे फांसी पर

By विनीत कुमार | Published: March 23, 2022 08:35 AM2022-03-23T08:35:51+5:302022-03-23T08:46:22+5:30

Shaheed Diwas: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को अंग्रेज सरकार द्वारा फांसी दी गई थी। इस कुर्बानी को याद करने के लिए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है।

Martyrs' Day: When Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev were hanged. all you need to know | शहीद दिवस: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जब हंसते-हंसते आज के दिन चढ़ गए थे फांसी पर

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का बलिदान दिवस (फाइल फोटो)

Shaheed Diwas: भारत के इतिहास में 23 मार्च, 1931 का दिन बेहद खास है। यही वो दिन है जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव अंग्रेजों से देश की गुलामी को खत्म करने के लिए फांसी पर चढ़ गए थे। इस कुर्बानी ने भारत में आजादी के लिए जल रहे मशाल को और तेज कर दिया और आखिरकार देश आजाद हुआ। इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही 'शहीद दिवस' मनाया जाता है। वैसे 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यथिति पर भी देश में शहीद दिवस मनाया जाता है। 

तय समय से पहले अंग्रेजों ने दी भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को फांसी

देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वाले भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 के दिन फांसी की सजा दी गई थी। हालांकि, उनको फांसी देने का दिन 24 मार्च 1931 तय था लेकिन अंग्रेजों ने इसमें अचानक बदलाव कर दिया और निर्धारित तारीख और समय से पहले 23 मार्च को रात के अंधेरे में इन्हें फांसी दे दी गई।

दरअसल, इन तीनों को फांसी की सजा के बाद से ही देश में गुस्सा था और लोग भड़के हुए थे। विरोध प्रदर्शन चल रहे थे और इससे अंग्रेज सरकार चिंतित और डरी हुई थी। यही कारण रहा कि अंग्रेजों ने बिना जानकारी दिए अचानक तीनों के फांसी के दिन और समय में बदलाव किया था।

'बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत'

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शायद अंग्रेज सरकार गिरफ्तार ही नहीं कर पाती। तीनों ने दरअसल खुद की गिरफ्तारी कराई थी। साल 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय को लाठीचार्ज में बुरी तरह चोटें आई। इस चोट के चलते लाला जी का निधन कुछ दिन बाद इलाज के दौरान हो गया।

लाला लाजपय राय की मौत से क्रांतिकारियों में गुस्सा था। ऐसे में क्रांतिकारियों ने लाठीचार्ज का आदेश देने वाले जेम्स स्कॉट को मारकर लालाजी की मौत का बदला लेने का फैसला किया। 17 दिसंबर 1928 दिन तय हुआ लेकिन चूक हो गई। गलत पहचान की वजह से स्कॉट की जगह असिस्टेंट सुप्रीटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन पी सांडर्स भगत सिंह और राजगुरु का निशाना बन गए। ऐसे में अंग्रेज हुकूमत बौखला गई थी।

इसके कुछ दिन बाद अंग्रेज सरकार दो नए बिल ला रही थी जो भारतीयों के लिए बेहद खतरनाक थे। इसके बाद तय हुआ अंग्रेजों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सेंट्रल असेंबली में बम फेंका जाएगा। इरादा साफ था कि किसी की जान नहीं जाए। इसलिए असेंबली में खाली स्थान पर भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त ने बम फेंका और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने शुरू कर दिए। 

अंग्रेज पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में राजगुरु को पुणे से और सुखदेव को लाहौर से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। सांडर्स की हत्या का दोषी तीनों को माना गया और फांसी दी गई।

Web Title: Martyrs' Day: When Bhagat Singh, Rajguru and Sukhdev were hanged. all you need to know

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे