जैसे आम लोग अपने काम के लिए बैंकों से लोन लेते है, उसी तरह बैंक अपने काम के लिए रिजर्व बैंक से लोन लेते हैं। इस लोन बैंक जिस रेट से ब्याज चुकाते हैं उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट का सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है, क्योंकि अगर रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को महंगा लोन मिलेगा और वो अपने ग्राहकों को ज्यादा रेट पर लोन देंगे। वहीं अगर रेपो रेट कम होगो तो कों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा और वो भी ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। Read More
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच इसे उम्मीद की किरण के रूप में देखा जा रहा है। ...
खुदरा मुद्रास्फीति में इजाफा मुख्य रूप से खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने की वजह से हुआ है। सितंबर में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति दर 8.6 फीसदी रही। ...
30 सितंबर 2022 को रेपो रेट में की गई 0.50 फीसदी की बढ़ोत्तरी के बाद अब रेपो रेट बढ़कर 5.90 फीसदी हो गया है। रेपो रेट दरअसल ब्याज की वह दर होती है जिसमें रिजर्व बैंक, बैकों को कर्ज देती है। ...
जानकारों ने सुझाव दिया है कि आने वाले महीनों में आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोतरी जारी रख सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) ने भी अपनी दरों में बढ़ोतरी पर इसी तरह का रुख अपनाया है। ...
Repo Rate Hike: भारतीय रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दी। ...