पहलवान दारा सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर जिले में 19 नवंबर 1928 को हुआ था। दारा सिंह ने करीब 36 साल तक अखाड़े में पसीना बहाया और अपने करियर की 500 कुश्तियों में एक भी नहीं हारे। जिसकी बदौलत उनका नाम ऑब्जरवर न्यूजलेटर हॉल ऑफ फेम में दर्ज है। 1966 में दारा सिंह को रुस्तम-ए-पंजाब और 1978 में रुस्तम-ए-हिंद के खिताब से नवाजा गया। कुश्ती के दिनों से ही उन्हें फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया था। उन्होंने साल 1962 में एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा और कई फिल्मों व सीरियल्स में काम किया। रामानंद सागर के शो रामायण में उन्होंने हनुमान का किरदार निभाया था, जो उनके सबसे यादगार किरदारों में से एक है। इसके बाद उन्होंने डायरेक्शन के क्षेत्र में भी कदम रखा। दारा सिंह ने साल 1970 में पहली बार फिल्म 'नानक दुखिया सब संसार' को डायरेक्ट किया, जो एक ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई। दारा सिंह फिल्म जब वी मेट में आखिरी बार करीना कपूर के दादा जी के रूप में नजर आए थे। दारा सिंह ने कुश्ती और फिल्मों के बाद साल 1998 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया और राजनीतिक करियर की शुरुआत की। दारा सिंह को साल 2003 में राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया। वो पहले ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें राज्य सभा के लिए नॉमिनेट किया गया था। इसके अलावा वो जाट महासभा के भी प्रेसिडेंट थे। 12 जुलाई 2012 को दिल का दौरा पड़ने से दारा सिंह की मौत हो गई थी। Read More
UP Cabinet Expansion: गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई मुलाकात की थी। ...
उत्तर प्रदेश के आगरा में जानलेवा जहरीली शराब की आपूर्ति मामले में पुलिस ने दो शराब ठेकों के मालिकों समेत सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया । पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी । इस संबंध में शुक्रवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मुनि ...
आज का इतिहास: शेरपा तेनजिंग और एडमंड हिलेरी ने पहली बार आज के दिन एवरेस्ट पर चढ़ाई पूरा करने का कमाल किया था। आज के ही दिन 1968 में दारा सिंह ने पहलवानी में विश्व चैंपियनशिप पर भी कब्जा किया। ...
लॉकडाउन के बीच लोगों से 33 साल पहले की तरह आज भी रामयाण को वहीं प्यार मिल रहा है। बार्क (BARC) की रिपोर्ट के मुताबिक रामायण ने दूरदर्शन पर टीआरपी के नए रिकॉर्ड बना दिए हैं। ...
बात एकदम वाजिब है. कभी पर्दे पर दारा सिंह की जोर आजमाइश दर्शकों को खूब लुभाती थी. साठ के दशक में एक दौर ऐसा भी था, जब मुंबई के आधे से ज्यादा थिएटरों में दारा सिंह की फिल्में धूम मचाती थीं ...