दारा सिंह पुण्यतिथि: एक ऐसा पहलवान जो बॉलीवुड का बना सुपरस्टार, पढ़ें जीवन के कुछ अनसुने किस्से

By असीम चक्रवर्ती | Published: July 12, 2019 08:41 AM2019-07-12T08:41:37+5:302019-07-12T08:41:51+5:30

बात एकदम वाजिब है. कभी पर्दे पर दारा सिंह की जोर आजमाइश दर्शकों को खूब लुभाती थी. साठ के दशक में एक दौर ऐसा भी था, जब मुंबई के आधे से ज्यादा थिएटरों में दारा सिंह की फिल्में धूम मचाती थीं

dara singh death anniversary know about his life facts | दारा सिंह पुण्यतिथि: एक ऐसा पहलवान जो बॉलीवुड का बना सुपरस्टार, पढ़ें जीवन के कुछ अनसुने किस्से

दारा सिंह पुण्यतिथि: एक ऐसा पहलवान जो बॉलीवुड का बना सुपरस्टार, पढ़ें जीवन के कुछ अनसुने किस्से

 ही-मैन की उपाधि से नवाजे गए धर्मेंद्र ने अपने संघर्ष के उन दिनों को याद करते हुए कहा था कि असली ही-मैन तो दारा सिंह जी हैं, जिनकी वजह से दर्शक फिल्में देखने जाते थे. बात एकदम वाजिब है. कभी पर्दे पर दारा सिंह की जोर आजमाइश दर्शकों को खूब लुभाती थी. साठ के दशक में एक दौर ऐसा भी था, जब मुंबई के आधे से ज्यादा थिएटरों में दारा सिंह की फिल्में धूम मचाती थीं.

'किंगकांग', 'रूस्तम-ए-बगदाद', 'फौलाद', 'सैमसन', 'आया तूफान', 'हरक्यूलस', 'वीर भीमसेन', 'शेर दिल', 'बॉक्सर', 'राका', 'लुटेरा', 'सिकंदर-ए-आजम', 'सरदार', 'नसीहत', 'तूफान', 'थीफ ऑफ बगदाद', 'रूस्तम', 'बजरंग बली' आदि 150 से ज्यादा फिल्मों में काम करनेवाले दारा सिंह के फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है. इनमें एक्शन से लेकर पौराणिक और धार्मिक हर तरह की फिल्में हैं. रास आईं चरित्र भूमिकाएं दारा सिंह ने उम्र के एक पड़ाव पर चरित्र भूमिकाएं भी जमकर की. याद कीजिए मनमोहन देसाई की फिल्म 'मर्द' का एक सीन. घोड़ी पर सवार अमिताभ बच्चन शादी करने जा रहे हैं.

अचानक घोड़ी बिदक कर भाग जाती है. तब दारा सिंह बेटे बने अमिताभ को अपने कंधे पर उठा लेते हैं. बतौर चरित्र अभिनेता उन्होंने कई फिल्मों में अपनी सशक्त पहचान बनाई थी, मगर उनकी असली पहचान थी पहलवान नायक की. पहलवानी के चलते ही उन्हें फिल्मों में काम मिलना शुरू हुआ था. 50 के दशक की फिल्मों में उनकी कुश्ती कोे खूब प्रचारित किया जाता था. 1954 में रूस्तम-ए-हिंद की उपाधि पाने के बाद मानों उनकी पूरी दुनिया ही बदल गई. फिल्मों में उन्हें कुश्ती के दांव खेलते खूब दिखाया जाता था. 1962 में आई 'किंगकांग' ने तो उनकी किस्मत ही बदल दी थी.

एक एक्टर से लेकर राज्यसभा सदस्य तक उन्होंने हर जिम्मेदारी बखूबी निभाई. यही नहीं, सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) के अध्यक्ष के तौर पर उनकी विनम्रता और सहयोगी व्यवहार को आज भी लोग याद करते हैं. छोटे से गांव से आए थे अमृतसर जिले के छोटे से गांंव धरमू चाक में 19 नवंबर 1928 को जन्मे दारा सिंह को बचपन से ही कसरत और कुश्ती का शौक था. इस मामले में उन्हें माता-पिता बलवंत कौर और सूरत सिंह रंधावा का भी पूरा प्रोत्साहन मिला.

जब उन्हें फिल्म में पहली बार एक्टिंग का मौका मिला, तब उन्होंने निर्माता से कहा था, ''मैंने आज तक कोई फिल्म नहीं देखी है, फिर एक्टिंग कैसे करूंगा.'' बहरहाल, पचास साल के अपने करियर में उन्होंने कई सम्मान अर्जित किए. बतौर निर्देशक आठ फिल्में भी बनाई. 1981 में कुश्ती को पूरी तरह से छोड़कर वह फिल्मों ओर टीवी के लिए सक्रिय हो गए थे. फिल्म 'बजरंगबली' में उन्होंने हनुमान के रोल को इतना जीवंत रंग दिया था कि रामानंद सागर ने कालजयी धारावाहिक 'रामायण' में सीधे दारा सिंह को यह रोल दे डाला. 80 दशक के इस सबसे पापुलर शो में दारा सिंह के रोल के क्रेज के बारे में कुछ बताने की जरूरत नहीं है. एक पहलवान से अभिनेता बनकर अपनी अदाकारी की छाप छोड़ने वाले दारा सिंह 12 जुलाई 2012 को इस दुनिया को छोड़कर चले गए.

Web Title: dara singh death anniversary know about his life facts

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